राज की बातः भारत में ट्विटर और सरकार का टकराव चरम पर है और देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की निगाहें नए आईटी नियमों पर जारी रार पर टिक गई हैं. हालात ये हैं कि 5 जून को आखिरी चेतावनी मिलने के बाद ट्विटर ने अपना अड़ियल रवैया बरकरार रखा है. नीली चिड़िया की बाज सरीखी बाज़ीगरी और उड़ान पर कैसे क़ाबू करने की तैयारी हो चुकी है ये राज हम आपको बताने जा रहे हैं.


हालिया हरकत में ट्विटर ने देश के नक्शे से छेड़खानी करने की हिमाकत कर डाली. चूंकि पानी सिर से ऊपर गुजर रहा है लिहाजा ये तय कर लिया गया है कि अब कानून के पंजों को खोल दिए जाएं.


राज की बात ये है कि नए आईटी नियमों को न मानने की जिद पर अड़े ट्विटर की नीली चड़िया को सरकार ने कानून के घने जंगल में बिना किसी संरक्षण के छोड़ देने का फैसला कर लिया है. ये होगा कैसे अब आपको ये बताते है. दरअसल केंद्र सरकार ने ट्विटर का इंटरमीडियरी यानि मध्यस्थ का दर्जा खत्म कर दिया है. इस फैसले का असर ये होगा कि कंटेट को लेकर किसी भी तरह की शिकायत मिलने पर ट्विटर के खिलाफ सीधे आपराधिक मामलों में कार्रवाई की जा सकती है और इसका सिलसिला शुरु भी हो चुका है. गाजियाबाद पुलिस मामला दर्ज करके 2 बाद ट्विटर के इंडिया हेड को नोटिस भेज चुकी है और दिल्ली में भी ट्विटर के खिलाफ मामला दर्ज किया जा चुका है.


हालांकि एक सवाल और भी है जो लोगों के मन में उठ रहा है. सवाल ये कि ट्विटर की तरफ से जारी हिमाक़त के खिलाफ सरकार सीधा एक्शन क्यों नहीं ले रही है. सवाल उठ रहा है जो ट्विटर संसदीय समिति के सामने भी अकड़ दिखा रहा है उसपर कार्ऱवाई में देरी क्यों. इस सवाल का जवाब ये है कि अगर ट्विटर पर सरकार सीधे कार्रवाई करती है तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सही मैसेज नहीं जाएगा.


चूंकि ट्वीट और ट्विटर को लोगों की अभिव्यक्ति से जोड़कर देखा जाता है लिहाजा मामला और भी संवेदनशील हो जाता है. इसीलिए सरकार सीधी कार्रवाई नहीं कर रहही लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नही कि ट्विटर को अभयदान दे दिया गया है. संदेश साफ औऱ सीधा सा है कि चिड़िया का चहचहाना ही सही लगता है, अगर वो गरजने की कोशिश करेगी तो भी कानून का गुलेल बरसेगा और खुलकर बरसेगा. क्योंकि कानून से बड़ा कोई नहीं हो सकता.


भारत में काम कर रही अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों की हितों की रक्षा के लिए दिया जाने वाला इंटरमीडयरी दर्जा गंवाने के बाद ट्विटर पर एफआईआर दर्ज होने शुरु हो गए हैं और इसका दबाव दिखना शुरु हो गया है. हाल ही में ट्विटर  की ओर से नियुक्त किए गए अंतरिम शिकायत अधिकारी धर्मेंद्र चतुर ने पद से इस्तीफा दे दिया है.


तो ट्विटर की हिमाकत को हैसियत दिखाने के लिए कानून का फंदा खोल दिया गया है. अब ट्विटर नियमों को मानता है तो उसकी नीली चिड़िया भारत में चहचहाती रहेगी और अगर नियमों की लीक पर नहीं चलता तो फिर कानूनी कार्रवाई की हर संभावना का सिरा खोल दिया गया है. साथ ही पीली चिड़िया यानी कू पर लगातार देश के ज़्यादातर मंत्री और नीति नियंता भी आ रहे हैं. कू के तकनीकी पर मज़बूत होने के साथ ही ट्विटर के पंजों से ‘अभिजात्य वर्ग’ का साइबर संसार सरकाने का जाल बिछ चुका है.