राज की बातः कोरोना काल में देश के सिस्टम को संभालने के लिए बड़ी चुनौती आई है. हालात इतनी तेजी से और इतने ज्यादा बिगड़ी कि ये तय कर पाना मुश्किल हो गया कि सड़कों पर किसे तैनात किया जाए, अस्पतालों की कागजी कार्रवाई में किसे लगाया जाए, कोविड गाइडलाइन्स को न मानने वालों का चालान किससे कटवाया जाए और वैक्सिनेशन सेंटर से लेकर तमाम जरूरी जगहों पर सुरक्षा किससे सुनिश्चित करवाई जाए.


भारी वर्कफोर्स की कमी के बीच इन सवालों के जवाब के तौर पर नाम सामने आया सिविल डिफेंस के वॉलंटियर्स का जो 1962 के युद्ध के बाद से ही देश के नागरिकों की हिफाजत के लिए अपनी डियुटी निभा रहे हैं. लेकिन राज की बात ये है कि यही सिविल डिफेंस के वॉलंटियर्स एक राज्य की कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बन गए हैं, एक राज्य की पुलिस की छवि पर बट्टा बन गए हैं और इन्हीं वॉलंटियर्स के बवाल की वजह से केंद्र और राज्य के टकराव की आशंकाए खड़ी हो गई हैं.


सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स के नाम पर बवाल के हालात बने हैं देश की राजधानी दिल्ली में. दरअसल दिल्ली में काम कर रहे 50  हजार से ज्यादा सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स को अलग अलग जिम्मेदारी सौंपी गई. बहुतों ने अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभाई लेकिन बहुत ऐसे रहे जिन्होंने हालात को सामान्य बनाने के बजाय खुद ही दिल्ली की सड़कों और अन्य जगहों पर उत्पात मचा दिया.


शिकायतें कई तरह की सामने आई. सबसे पहली शिकायत जो सामने आई उसकी जिम्मेदार तो खुद दिल्ली सरकार ही है लेकिन अब उसका खामियाजा आने वाले वक्त में सिविल डिफेंस कर्मचारियों को भुगतना पड़ सकता है. दरअसल कोरोना काल में मास्क न पहनने वालों का चालान काटने में सिविल डिफेंस के वॉलंटियर्स की तैनाती दी. कई जगहों पर इसी चालान को काटने के नाम पर सिविल डिफेंस के कर्मचारियों ने लोगों से बदसलूकी कर दी और कई जगहों पर मारपीट की भी नौबत आ गई.


इन सब बवालों की वजह से बट्टा दिल्ली पुलिस की वर्दी और साख पर लगने लगा. इसके पीछे वजह से है कि दिल्ली सिविल डिफेंस के वॉलंटियर्स को जो वर्दी दी गई है वो बिल्कुल दिल्ली पुलिस से मिलती जुलती है...ऐसे में बवाल दिल्ली सिविल डिफेंस ने किया और लोगों का गुस्सा दिल्ली पुलिस पर फूटना शुरु हो गया. वैसे भी दिल्ली पुलिस को ठुल्ला जैसा संबोधनों से केजरीवाल ने न सिर्फ़ नवाज़ा बल्कि लगातार इस पर प्रहार करते रहे.


इस बीच सिविल डिफ़ेंस के कई वालियंटर ने जो हरकतें की उससे दिल्ली पुलिस की छवि पर सवाल उलटने लगे. मसलन चालान के साथ ही साथ मौजपुर, दिल्ली रेलवे स्टेशन और अन्य जगहों पर हुए कुछ बवाल में भी दिल्ली सिविल डिफेंस ने कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ा दीं. इन सबके बीच सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये रही कि दिल्ली सरकार ने बार बार हो रहे बवाल के बाद भी इन मामलों का संज्ञान नहीं लिया. हालांकि इसके पीछे भी एक राज की बात है. राज की बात ये है कि दिल्ली में सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की संख्या लगभग 55 हजार है और दिल्ली की केजरीवाल सरकार इन्हें एक पुख्ता वोट बैंक के तौर पर देखने लगी है लिहाजा ड्यूटी के नाम पर हुए हंगामे के नजरअंदाज किया गया.


अब राज की बात ये है कि इन्हीं चीजों से हलकान दिल्ली पुलिस ने एक बड़ा कदम उठा लिया है. राज की बात ये है कि दिल्ली पुलिस ने केंद्र सरकार को इस संबंध में पत्र लिखा है और ये मांग की गई है कि दिल्ली में सिविल डिफेंस कर्मचारियों की वर्दी का रंग बदला जाए. क्योंकि इनका दिल्ली पुलिस के रंग में दिखना कानून व्यवस्था के साथ ही साथ दिल्ली पुलिस की छवि के लिए भी चुनौती बन गया है. क्योंकि ख़ाकी रंग की वर्दी की वजह से तमाम लोग इन्हें पुलिस समझ लेते हैं और पुलिसिया रौब दिखाकर ये लोग लोगों का शोषण करने पर उतर आते हैं. लोगों को लगता है कि ये होमगार्ड की तरह दिल्ली पुलिस के साथ हैं या कुछ कम पढ़े लिखे लोग इन्हें पुलिस ही समझ लेते हैं.


दिल्ली पुलिस की तरफ से लिए गए पत्र के बाद केंद्र सरकार क्या फैसला लेती है वो तो वक्त बताएगा लेकिन इस बात की आशंका स्पष्ट है कि अब दिल्ली सिविल डिफेंस की वर्दी को लेकर भी केंद्र-राज्य का टकराव सिर उठा सकता है. दिल्ली बीजेपी तो पहले ही उपराज्यपाल से सिविल डिफ़ेंस के वालियंटर्स की वर्दी का रंग बदलने की मांग कर चुकी है. डीसीडी वॉलंटियर्स को वोटबैंक के चश्मे से देख रही केजरीवील सरकार. एक नए बवाल की बिसात पर खड़ी हो सकती है. सियासत और शासन में दिल्ली पुलिस की चिट्ठी का साइडइफेक्ट क्या होता है ये देखने वाली बात होगी.


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