(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
राज की बातः दावोस जैसी रौनक-सुविधाएं लद्दाख को मिलेंगी, भारत सरकार ने शुरू किया है काम
राज की बात ये है कि लेह लद्दाख को देश ही नहीं बल्कि विश्व के मानचित्र पर सजाने के लिए एक बड़े मास्टरप्लान पर काम शुरु हो गया है.
राज की बातः बर्फ की सफेद चादर मोटी चादर में लिपटी स्विस आल्प्स पर्वत श्रंखला की गोद में बसा एक शहर जहां से दुनिया की आर्थिकी पर मंथन होता है. प्लेसूर और अल्बूला श्रृंखला सजा एक शहर जहां से दुनिया पर्यावरण संरक्षण की सोच को समृद्ध करती है. हम बात कर रहे हैं प्रकृति प्रदत्त कठिन मौसम के बीच जिंदगियों को आसान करने वाले उस शहर की जिसे मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियां और बर्फ की अगाध धारा थाम नहीं पाई. हम बात कर रहे दावोस की. उस दावोस की जो स्विटजरलैंड की शान है, दुनिया भर में इस शहर की वैचारिक स्तर पर अलग पहचान है.
लैंडवासर नदी के तट पर 284 वर्ग किलोमीटर में फैले इस शहर को स्विटजरलैंड ने इतने शानदार तरीके से विकसित किया कि दुनिया के लिए विकास का मॉडल बन गया. ऐसी कोई दुनिया की हस्ती नहीं जो यहां न पहुंची हो. प्रकृति की खूबसूरती और विकास के आधुनिक मॉडल का जीवंत प्रतीक है दावोस.
क्यों किया दावोस का जिक्र
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर हम दावोस के शान में कसीदे क्यों पढ़ रहे हैं. आप सोच रहे होंगे की आखिर राज की बात से स्विटजरलैंड के इस शहर का क्या ताल्लुक है. तो राज की बात में हम इन्हीं सवालों को जवाब आपको देने जा रहे हैं. लेकिन सबसे पहले आपको बताते हैं कि दावोस का जिक्र हमने क्यों किया.
दरअसल दावोस में जो भौगोलिक और प्राकृतिक परिस्थतियां हैं वैसी ही परिस्थिति वाला भारत का भूभाग वीरान है. वीरान इसलिए क्योंकि आबादी के नाम पर नाममात्र की जनसंख्या है और सुविधाओं के नाम पर भी नाममात्र के इंतजाम. लेकिन राज की बात ये है कि अब केंद्र की मोदी सरकार ने ये तय कर लिया है कि दावोस जैसी रौनक, दावोस जैसी सुविधाएं और दावोस जैसी दमदारी उस इलाके को दी जाएगी जो अभी तक इस सोच से महरूम रहा है. और उस क्षेत्र का नाम है लद्दाख.
लेह लद्दाख में बहेगी विकास की धारा
राज की बात ये है कि लेह लद्दाख को देश ही नहीं बल्कि विश्व के मानचित्र पर सजाने के लिए एक बड़े मास्टरप्लान पर काम शुरु हो गया है. चीन की सीमा से सटे इस कठिन जलवायु और परिस्थितियों वाले क्षेत्र को मुख्यधारा से जोड़कर विकास की गंगा बहाने का प्लान तैयार होने लगा है.
किसी शहर या क्षेत्र को सजाने के लिए लिए जरूरी है कि सबसे पहले कनेक्टिविटी बेहतर हो लिहाजा बुनियादी स्तर काम का बीड़ा उठाया है केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने. यहां राज की बात ये है कि अभी इस बात पर मंथन शुरु हुआ है कि आखिर कैसे लेह लद्दाख में रोड डेवलपमेंट किया जाए और कैसे उसके आस-पास के क्षेत्रों का विकास हो, जिससे पर्यटन के साथ ही साथ व्यापारिक संभावनाओं के द्वार इस क्षेत्र में खुलें.
नितिन गडकरी और LG की हो चुकी है मुलाकात
संभावनाओं की तलाश के बीच राज की बात ये भी है कि इसी संबंध में नितिन गडकरी जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लेफ्टिनेंट गर्वनर से मीटिंग कर चुके हैं और यहां की भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से आइडिया मांगा गया है. केंद्र सरकार की कोशिश है कि भारत के मस्तक दिखने वाले इन क्षेत्रों को मुकुट के सरीखे सजा दिया जाए.
सफेद बर्फ से ढंके क्षेत्र को विकास, व्यापार और संभावनाओं से सजा दिया जाए. विकास के कौन कौन से रंग यहां पर भरने की कोशिश हो रही है. उन्हीं राज की बात को लेकर हम आपके सामने आए हैं.
दरअसल शुरु में जिस दावोस का हमने जिक्र किया वहां की और लद्दाख की भौगोलिक परिस्थितियां एक सी हैं. जहां दावोस 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बसा है वहीं लद्दाख 9 हजार 800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. दोनों ही क्षेत्रों में जबर्दस्त बर्फबारी होती है. ऐसे में अगर दावोस की बर्फीली जमीन विश्व मानचित्र पर अपनी छाप छोड़ सकती है तो फिर लद्दाख में भी ऐसा हो सकता है. लिहाजा भारत सरकार ने इस पर काम शुरू कर दिया है.
लेह लद्दाख में लगाई जाएंगी पवन चक्कियां
हालांकि लेह लद्दाख के विकास की योजना अपने प्रारंभिक चरण में है लेकिन जो राज की बात सामने आई है उसके मुताबिक प्राकृतिक परिस्थितियों को ही ताकत बनाते हुए इस क्षेत्र को विकास की सड़क पर उतारा जाएगा. जैसे लेह लद्दाख के क्षेत्र में सड़कों के किनारे और विंड एनर्जी के लिए मुफीद जगहों पर पवन चक्कियां इंस्टाल की जाएंगी जिससे हवा से बिजली बनाने का काम हो और इस क्षेत्र को रिन्यूएबल एनर्जी के जरिए रोशन किया जा सके.
विकास की इस कहानी में सबसे अहम भूमिका शुरुआती चरण में हाईवे निभाएंगे जिनके इर्द गिर्द ऐसी सुविधाओं को देने की कोशिश होगी जिससे लोगों का आवागमन भी बढ़े और आर्थिक गतिविधियों भी रफ्तार मिले.
चीनी घुसपैठ को जवाब
हालांकि ऐसा नहीं है कि लद्दाख के विकास की कहानी लद्दाख तक ही सीमित रहेगी. यहां राज की बात ये है कि इस क्षेत्र के विकास में कई समस्याओं का हल भी छिपा हुआ है. दरअसल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन और अंतर्देशीय स्तर पर जम्मू कश्मीर से सटे इस इलाके में विकास की रफ्तार बढ़ेगी और तो एक तरफ जहां अलगाववादियों की हरकत कमजोर पड़ेगी तो वहीं निर्जन क्षेत्र का फायदा उठाकर चीनी घुसपैठ को भी जवाब मिलेगी. आर्थिक गतिविधियां बढेंगी तो अलगाववादियों की कमर भी टूटेगी और लेह लद्दाख का विकास होता जम्मू कश्मीर भी स्वत; रूप से विकास की मुख्य धारा से जुड़ने लगेगा.
भारत के ललाल पर स्थित लद्दाख के विकास के प्लान पर काम शुरु हो गया है. कोशिश सीधी सी यही है कि दुर्गम क्षेत्र की पहचान सुगम क्षेत्र में बदल जाए, लगभग निर्जन सा पड़ा क्षेत्र आर्थिक, सामाजिक और पर्यटन गतिविधियों के अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के तौर पर उभर कर आए. विकास के पैमाने पर इस खूबसूरत क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों के केंद्र को तौर पर पहचान मिले.
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