राज की बातः हरिद्वार में हर हर महादेव का स्वर गुंजायमान है. धर्म ध्वजाओं के साथ ही साथ धूनियों के सन्निकट समाधिस्थ हैं संत, महंत, महामण्डलेश्वर, अवधूत और आराधना के क्रम से जुड़ा हर सोपान. ब्रह्मकुण्ड से लेकर हरिद्वार के हर घाट पर स्नान दान और पूजन का क्रम अनवरत जारी है. देश और दुनिया के करोड़ों श्रद्धालुओं को कुंभ स्नान की बेताबी खींचे चली आरही है और आस्था का यही सैलाब सरकार को टेंशन में डाल रहा है. टेंशन इस बात की एक तरफ हरिद्वार की तरफ जाने वाले श्रद्धालुओं का रेला रफ्तार पकड़ चुका है तो दूसरी तरफ कोरोना की दूसरी लहर भी अपने चरम पर है. तब सवाल उठता है कि कुंभ को कोरोना के कहर से कैसे बचाया जाए. सोशल डिस्टेशिंग की अनिवार्यता के दौर में इतनी बड़ी भीड़ को आने से कैसे रोका जाए और वो भी जब मामला धार्मिक हो तो फिर कोई फैसला लेना और भी कठिन हो जाता है.


श्रद्धालुओं को हरिद्वार कुंभ में कोरोना के चलते सीधे जाने से तो तो नहीं रोका जा सकता लेकिन राज की बात ये है कि इसका भी तोड़ सरकार ने निकाल लिया है. राज की बात ये है जिन संतों और महंतों के शिष्य और भक्त कुंभ पहुंचते हैं उन्हीं संतो के साथ मिलकर सरकार कुंभ को कोरोना से बचाने की कोशिश में जुट गई है. हालांकि उत्तराखण्ड सरकार ने अपने स्तर पर कोशिशें की हैं लेकिन बढ़ते हुए खतरे को देखते हुए इस हालात से निपटने के लिए अब केंद्र सरकार अपने हाथों में बीड़ा उठाने का मन बना लिया है.


राज की बात ये है कि सेंट्रल स्टेट रिलेशनसिप डिपार्टमेंट अखाड़े और कुंभ के प्रमुख संतों से संपर्क करेगा और ये कोशिश की जाएगी कि संत ही भक्तों को कुंभ में आने से रोकने के लिए हतोत्साहित करें. क्योंकि ऐसा कोई फरमान सरकार निकालने से बचेगी और अगर संत भक्तों से कोरोना गाइडलाइन के मद्देनाजर हरिद्वार आने से बचने की सलाह दे तो ये काफी असरदार साबित हो सकता है.


वहीं अगर संत समाज की बात की जाए तो अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि कहते हैं कि हमने पहले ही श्रद्धालुओं से कोविड गाइडलाइन्स के पालन की अपील की है और अगर आगे भी सरकार किसी तरह का सहयोग चाहती है तो अखाड़ा परिषद उस पर बात और विचार करके फैसला लेगा.


मतलब ये कि कुंभ के साथ हरिद्वार में बढ़ती भीड़ और बढ़ते कोरोना के आंकड़ों से निपटने के लिए संतों का सहारा अहम साबित होगा. अब देखने वाली बात होगी कि ये बात कितनी दूर तलक जाती है और कितना असर दिखाती है. लेकिन इतना तो तय है कि कोरोना संक्रमण के प्रसार के लिए सरकार कोई कसर छोड़ना नही चाहती है.


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