नई दिल्ली: राफेल सौदे को लेकर देश में सियासी पारा बेहद गर्म है. कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर डील के जरिए अनिल अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज़ को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा रही है. कांग्रेस की ओर से मोर्चा खुद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने संभाला है. वहीं सरकार की ओर से कांग्रेस पर झूठे आरोप लगाने की बात कही जा रही है. वित्त मंत्री जेटली राहुल गांधी की बातों को गंभीरता से ना लेने की बात कह चुके हैं. इस सब के फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति का बयान भी सुर्खियों में है, जिसे आधार बनाकर राहुल गांधी ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'चोर' कह रहे हैं.
राफेल को लेकर राजनीति में अब तक क्या हुआ, 5 प्वाइंट्स
1. फ्रांस के राष्ट्रपति ने क्या कहा?
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने फ्रांस के अखबार मीडियापार्ट को इंटरव्यू दिया है. इसमें ओलांद ने कहा है कि राफेल सौदे के लिए भारत सरकार ने अनिल अंबानी की रिलायंस का नाम प्रस्तावित किया था और दसॉल्ट एविएशन कंपनी के पास दूसरा विकल्प नहीं था. इंटरव्यू के मुताबिक, ओलांद ने कहा कि भारत सरकार की तरफ से ही रिलायंस का नाम दिया गया था. इसे चुनने में दसॉल्ट एविएशन की भूमिका नहीं है. ओलांद ने कहा, 'भारत की सरकार ने जिस सर्विस ग्रुप का नाम दिया, उससे दसॉल्ट ने बातचीत की. दसॉल्ट ने अनिल अंबानी से संपर्क किया. हमारे पास कोई विकल्प नहीं था. हमें जो वार्ताकार दिया गया, हमने स्वीकार किया.'
2. राहुल गांधी ने क्या आरोप लगाए?
राहुल गांधी ने कहा कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने जो आरोप लगाए हैं उसका साफ मतलब है कि पीएम मोदी ने राफेल सौदे में भ्रष्टाचार किया है, चोरी की है. जो राफेल विमान यूपीए सरकार ने 526 करोड़ रुपये का खरीदा था वो अनिल अंबानी की मदद करने के लिए 1600 करोड़ रुपये में खरीदा गया.
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि ओलांद ने बता दिया है कि अनिल अंबानी को जो हजारों करोड़ रुपये का कॉन्ट्रेक्ट मिला वो पीएम मोदी के कहने पर दिया गया था. इसका साफ अर्थ है कि ओलांद पीएम मोदी को चोर कह रहे हैं और पीएम मोदी के मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा है. प्रधानमंत्री को देश को जवाब देना चाहिए वर्ना देश की जनता के दिमाग में ये घुस गया है कि देश का चौकीदार चोर है. राहुल गांधी ने पूरे मामले में संसद की संयुक्त समिति के गठन की मांग की है.
3. जेटली ने क्या सफाई दी?
कांग्रेस के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा, ''फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट और रिलायंस के बीच क्या हुआ उससे सरकार का कोई लेना देना नहीं है. दोनों कम्पनियों के बीच 12 फरवरी 2012 को एक समझौता हुआ था और पीटीआई ने इसकी ख़बर भी दी थी.''
राहुल गांधी पर हमला करते हुए जेटली बोले, ''30 अगस्त को ट्वीट करते हैं कि फ्रांस के अंदर कुछ बम चलने वाले हैं. ये उनको (राहुल गांधी) कैसे मालूम कि ऐसा बयान आने वाला है? ये जो जुगल बंदी है इस तरह की, मेरे पास कुछ सबूत नहीं है लेकिन प्रश्न खड़ा होता है.''
4. अनिल अंबानी ने आरोपों पर क्या कहा?
कांग्रेस की ओर कंपनी पर उठाए जा रहे सवालों पर अनिल अंबानी ने भी सफाई दी है. आरोप को आधारहीन और दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए अंबानी ने कहा, ‘‘सच्चाई की जीत होगी.’’ उन्होंने कहा कि जो भी आरोप लगाये जा रहे हैं, वह दुर्भाग्यपूर्ण, स्वार्थ से प्रेरित और कंपनी की प्रतिद्वंद्विता से प्रेरित है.
5. राफेल विवाद है क्या?
यूपीए सरकार ने 600 करोड़ रुपये में एक राफेल का सौदा किया था. अब बताया जा रहा है कि सरकार को एक राफेल करीब 1600 करोड़ रुपये का पड़ेगा. राफेल डील में 50 प्रतिशत ऑफसेट क्लॉज यानि प्रावधान है. यानि इस सौदे की पचास प्रतिशत कीमत को रफाल बनाने वाली कंपनी, दसॉल्ट को भारत में ही रक्षा और एयरो-स्पेस इंडस्ट्री में लगाना होगा.
इसके लिए दसॉल्ट कंपनी ने भारत की रिलायंस इंडस्ट्री से करार किया है. अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस इंडस्ट्री ने जो कंपनी बनाई है, उसके साथ मिलकर दसॉल्ट कंपनी भारत में ज्वाइंट वेंचर कर रही है. ये दोनों मिलकर भारत में नागरिक विमानों के स्पेयर पार्ट्स बनाने जा रही हैं. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि "36 राफेल आईजीए (इंटर गर्वमेंटल एग्रीमेंट) में ऑफसेट्स की मात्रा 50 प्रतिशत है, जिसमें योग्य उत्पादों और सेवाओं के निर्माण या रखरखाव के लिए प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में निवेश शामिल हैं.''