चेन्नई: सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने रविवार को कहा कि राफेल सौदा 'भारत में सबसे बड़ा रक्षा घोटाला' है. भूषण ने केंद्र से इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच शुरू कराने का आग्रह किया. उन्होंने पूछा कि कैसे अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को इस परियोजना में शामिल किया जा सकता है जो कि फ्रांसीसी कंपनी दसाल्ट एविएशन की ऑफसेट साझेदार है और उनकी अधिकतर कंपनियां कर्ज में डूबी हैं.


प्रशांत भूषण ने कहा कि यह न केवल भारत में सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है बल्कि इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा से भी समझौता किया गया है. वायुसेना को 126 विमानों की जरूरत थी लेकिन इसे घटाकर 36 कर दिया गया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर निशाना साधते हुए केंद्र पर आरोप लगाया कि वह भारतीय वायुसेना के अधिकारियों से सौदे के बारे में झूठ कहलवा रही हैं.


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प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार को तत्काल एक जेपीसी जांच के लिए तैयार होना चाहिए और सभी दस्तावेज उसके सामने रखने चाहिए. इसमें कोई राष्ट्रीय सुरक्षा (तत्व) नहीं है. जैसा सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है. उन्होंने आगे कहा कि अम्बानी की कंपनी किसी भी कीमत पर बिना रक्षा मंत्री के हरी झंडी के राफेल डील में आ ही नहीं सकती थी.


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इससे पहले फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने राफेल डील पर बयान दिया था कि ऑफसेट पार्टनर चुनने में फ्रांस के पास कोई विकल्प नहीं था उसे सिर्फ एक ही विकल्प दिया गया था.  इससे देश में राजनीतिक आरोप- प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार बीजेपी पर राफेल सौदेबाजी में घपला करने का आरोप लगा रही है. वहीं बीजेपी किसी भी प्रकार की डील में अनियमितता के आरोप को खारिज कर रही है.


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