नई दिल्ली: राफेल डील पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने कहा है कि राफेल सौदे के लिए रिलायंस का नाम भारत सरकार ने ही सुझाया था. वहीं, रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर रहा है कि राफेल पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के बयान की पड़ताल की जा रही है. रक्षा मंत्रालय ने बयान में ये भी कहा है कि सौदे के लिए पार्टनर चुनने में सरकार का कोई रोल नहीं होता है.


ओलांद के खुलासे के बाद फ्रांस सरकार ने भी बयान जारी किया है. वहां की सरकार का कहना है कि फ्रांस की कंपनी ने अपनी मर्जी से अपना भारतीय औद्योगिक साझेदार चुना है. इसमें फ्रांस सरकार की कोई भूमिका नहीं है. ओलांद के खुलासे के बाद राफेल विमान बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट एविऐशन का भी बयान आया है. बयान में कंपनी ने कहा है कि एक नहीं बल्कि सौ से ज्यादा भारतीय कंपनियां औद्योगिक साझेदार हैं.


मोदी ने सैनिकों का किया अपमान- राहुल
इस खुलासे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि पीएम मोदी ने खुद नेगोशिएट करके बंद दरवाजे में राफेल डील में बदलाव करवाए. उन्होंने कहा कि फ्रांस्वा ओलांद का शुक्रिया जिनकी वजह से हम जान पाए कि हज़ारों करोड़ की ये डील खुद मोदी ने कंगाल अनिल अंबानी को सौंपी. राहुल गांधी ने कहा कि पीएम ने देश से विश्वासघात किया है और हमारे सैनिकों के खून का अपमान किया है.





कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला का सरकार पर हमला
क्रांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी ट्वीट कर मोदी सरकार पर किया वार किया है. उन्होंने कहा कि घोटाले में मोदी सरकार बेनक़ाब हुई है. वहीं, राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामण पर भी झूठ बोलने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई देने वाले ही देश की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे हैं. जान लीजिए - सत्य के रास्ते में व्यवधान डाला जा सकता है, सत्य कभी पराजित नहीं होता. सत्यमेव जयते.




ओलांद ने क्या कहा है?
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा है कि राफेल सौदे के लिए भारत सरकार ने अनिल अंबानी की रिलायंस का नाम प्रस्तावित किया था और डसॉल्ट एविएशन कंपनी के पास दूसरा विकल्प नहीं था. फ्रांस की एक पत्रिका में छपे इंटरव्यू के मुताबिक, ओलांद ने कहा कि भारत सरकार की तरफ से ही रिलायंस का नाम दिया गया था. इसे चुनने में डसॉल्ट एविएशन की भूमिका नहीं है.  ओलांद ने कहा, 'भारत की सरकार ने जिस सर्विस ग्रुप का नाम दिया, उससे डसॉल्ट ने बातचीत की. दसॉल्त ने अनिल अंबानी से संपर्क किया. हमारे पास कोई विकल्प नहीं था. हमें जो वार्ताकार दिया गया, हमने स्वीकार किया.'


ओलांद के बयान की पड़ताल जारी- रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के बयान की पड़ताल की जा रही है. साथ ही ये भी कहा गया है कि पूरी डील में फ्रांस या भारत किसी भी सरकार का कोई रोल नहीं था. ओलांद की यह बात सरकार के दावे को खारिज करती है जिसमें कहा गया था कि डसॉल्ट और रिलायंस के बीच समझौता एक कमर्शल पैक्ट था जो कि दो प्राइवेट फर्म के बीच हुआ. इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं थी.


590 करोड़ से 1690 करोड़ कैसे हुई कीमत- मनीष तिवारी
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस आर्टिकल को रीट्वीट करते हुए ओलांद से पूछा, 'कृपया आप हमें यह भी बताएं कि राफेल की 2012 में 590 करोड़ की कीमत 2015 में 1690 करोड़ कैसे हो गई. मुझे पता है कि यूरो की वजह से यह कैलकुलेशन की दिक्कत नहीं है.'

रक्षा मंत्री से इस्तीफा मांग रहा है विपक्ष
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर राफेल मामले में देश को गुमराह करने का आरोप लगाया था. विपक्षी दल ने हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के पूर्व प्रमुख टी सुवर्णा राजू के बयान का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री से इस्तीफा मांगा था.

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मास्टर स्ट्रोक: फुल एपिसोड। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ने कहा- भारत सरकार ने दिया था रिलायंस का नाम