नई दिल्ली: राफेल डील को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर कांग्रेस के लिए उस समय असमंजस की स्थिति बन गई जब अनिल अंबानी की तरफ से कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. कपिल सिब्बल की पेशी से ठीक पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल डील को लेकर सीधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे.


यही नहीं राहुल गांधी ने एक ई-मेल दिखाते हुए कहा "सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंन है...यह देशद्रोह है और जासूस ऐसा ही करते हैं. प्रधानमंत्री एकमात्र व्यक्ति थे जिन्हें राफेल डील की जानकारी थी और उन्होंने इस बारे में अनिल अंबानी को बताया. प्रधानमंत्री अनिल अंबानी के बिचौलिये की तरह काम कर रहे हैं."


दरअसल, विपक्षी दलों का आरोप है कि फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद में सरकारी कंपनी एचएएल को छोड़कर अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को शामिल किया गया. जिससे अनिल अंबानी की कंपनी को 30 हजार करोड़ रुपये का फायदा हुआ. इन आरोपों को पुख्ता करते हुए कई मीडिया रिपोर्ट्स आए हैं. जिसके बहाने विपक्षी पार्टियां लगातार मोदी सरकार पर हमला बोल रही है.


इन आरोपों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील कपिल सिब्बल एक अन्य मामले में अनिल अंबानी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और उनके बचाव में पक्ष रखे. उन्होंने इससे ठीक पहले ट्विटर पर ई-मेल साझा करते हुए अनिल अंबानी के खिलाफ हमला बोला था. इस ई-मेल में अंबानी का जिक्र है.





जिसके बाद बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर हो गई है. बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के अनिल अंबानी समूह के साथ 'करीबी रिश्ते' हैं और विपक्षी पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल का कई मामलों में उद्योगपति के समूह का ‘पक्ष लेना’ पार्टी का पर्दाफाश करता है.


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बीजेपी प्रवक्ता जी वी एल नरसिम्हा ने कहा, ''राहुल गांधी और कांग्रेस दुष्प्रचार में लिप्त है क्योंकि कंपनी (अनिल अंबानी समूह) जिसके बारे में उनका आरोप है कि उसे यहां (राफेल सौदे में) लाभ हुआ, उसे इस सरकार में कोई लाभ नहीं हुआ बल्कि उसे तब अनुचित लाभ हुआ जब कांग्रेस सत्ता में थी.’’


यह सुनवायी एरिक्सन इंडिया द्वारा रिलायंस कम्युनिकेशन्स लिमिटेड (आरकॉम) के चेयरमैन अनिल अंबानी और अन्य के खिलाफ दायर अवमानना से जुड़ी थी. एरिक्सन इंडिया ने यह मामला 550 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान नहीं करने को लेकर दायर किया है.


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पहली बार नहीं है जब कपिल सिब्बल की वजह से कांग्रेस को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. इससे पहले राम मंदिर के मुद्दे पर सिब्बल बीजेपी के निशाने पर आए थे. जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक पक्ष की तरफ से पेश होकर कहा था कि राम मंदिर की चुनावी 2019 लोकसभा चुनाव के बाद हो क्योंकि एक पार्टी इसका फायदा उठाना चाहती है.. कांग्रेस इस मामले में चुप्पी साधती रही है. पार्टी का कहना है कि सभी पक्षों को कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए.


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हालांकि कपिल सिब्बल इस तरह के मामलों में पेशी को लेकर अपने प्रोफेशन की दुहाई देते रहे हैं. उनका कहना है कि एक वकील के नाते वह किसी भी पक्ष की तरफ से पेश हो सकते हैं. इसे पार्टी लाइन से नहीं जोड़ना चाहिए.