राफेल डील: रणदीप सुरजेवाला ने की JPC जांच की मांग, जानिए क्या होती है 'ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी'
राफेल सौदे में जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जहां बीजेपी खुश है तो वहीं कांग्रेस मामले की जांच जेपीसी से कराने की मांग कर रही है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि इस मामले की जांच के लिए संसद की JPC की ही सही मंच है.
नई दिल्ली: राफेल सौदे में जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जहां बीजेपी खुश है तो वहीं कांग्रेस मामले की जांच जेपीसी से कराने की मांग कर रही है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि इस मामले की जांच के लिए संसद की JPC की ही सही मंच है. उन्होंने कहा,'' राफेल मामले पर जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट सही मंच नहीं है. हम SC के फैसले का स्वागत करते हैं लेकिन इस मामले पर सच तभी सामने आएगा जब इस मामले की जांच जेपीसी करेगी.''
रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “राफेल सौदे का मामला अनुच्छेद 132 और 32 से जुड़ा है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट विमान के मूल्य और सौदे की प्रकिया से जुड़ी संवेदनशील रक्षा अनुबंध पर फैसला नहीं दे सकता. इस मामले की सिर्फ जेपीसी से जांच कराई जा सकती है.
Randeep Surjewala: Article 136&32 are not the forum to decide the issue, the pricing, the process, the sovereign guarantee&the corruption in the Rafale contract.Only forum&only media is a Joint Parliamentary Committee (JPC) which can probe the entire corruption in #RafaleDeal. https://t.co/AFYBGKCVHe
— ANI (@ANI) December 14, 2018
सुरजेवाला ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने आज उस बात पर मुहर लगा दी जो कांग्रेस पार्टी कई महीनों से कहती आ रही थी. हमने पहले ही कहा था कि इस तरह के संवेदनशील रक्षा मामलों पर फैसला लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट मंच नहीं है.”
Randeep Surjewala, Congress on #RafaleVerdict: The verdict of the Supreme Court today is a validation of what the Congress party stated months again, that SC is not the forum to decide the such sensitive defence contract. pic.twitter.com/824MxYukki
— ANI (@ANI) December 14, 2018
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी अब राहुल गांधी से माफी की मांग कर रही है. आइए जानते हैं कि आखिर यह जेपीसी होती क्या है जिसकी मांग पर कांग्रेस अड़ी हुई क्या होती है JPC
JPC का फूल फॉर्म ''ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी' होता है. ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी संसद की वह समिति जिसमें सभी दलों को समान भागीदारी हो. जेपीसी को यह अधिकार है कि वह किसी भी व्यक्ति, संस्था या किसी भी उस पक्ष को बुला सकती है जिसको लेकर जेपीसी का गठन हुआ है. साथ ही जिस किसी भी व्यक्ति को जेपीसी बुलाती है अगर वह आता नहीं तो इसे सदन की अवमानना माना जाता है. जोपीसी को यह अधिकार होता है कि वह जिस व्यक्ति या संस्था के खिलाफ जांच चल रही है उससे लिखित या मौखिक जवाब मांग सकती है.
कैसे होता है गठन
किसी भी मुद्दे को लेकर अगर सदन के अधीकतर सदस्य चाहते हैं कि जांच जोपीसी के जरिए हो तो उसके लिए एक समिति का गठन किया जाता है. इसको मिनी संसद भी कहा जाता है.
पहले भी कई बार हो चुका हैं JPC का गठन
JPC का गठन पहले भी हुआ है. सबसे पहले जेपीसी का गठन बोफोर्स घोटाले की जांच के लिए 1987 में हुआ. इसके बाद हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट घोटाला मामले में जेपीसी जांच के लिए समिति का गठन 1992 में हुआ. केतन पारेख शेयर मार्केट घोटाला में भी 2001 में जोपीसी का गठन हुआ था. इसके बाद 2003 में सॉफ्ट ड्रिंक पेस्टीसाइड मामले में इसका गठन हुआ. टू जी स्पैकट्रम घोटाले की जांच के लिए भी जेपीसी का गठन हुआ था.