नई दिल्ली: राफेल मुद्दे पर कुछ दिन पहले तक फ्रंटफुट पर आकर केंद्र सरकार पर निशाना साधने वाली कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब बैकफुट पर दिखाई दे रही है. दरअसल भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल सौदे पर सवाल उठाने वाली सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया. SC के फैसले के बाद अब बीजेपी एक्शन में आ गई है. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह 1 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. वहीं गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि हमे पहले पता था कि कोई घोटाला नहीं हुआ और कांग्रेस केवल राजनीतिक लाभ के लिए बेबुनियाद आरोप लग रही थी. बीजेपी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग की है. तो वहीं विपक्षी पार्टियां अब भी डील को घोटाला बताते हुए जेपीसी की मांग पर अड़ी है.
क्या है मामला
राफेल डील दरअसल भारत और फ्रांस सरकारों के बीच 36 लड़ाकू विमानों का सौदा है जो 2016 में तय हुई था. कांग्रेस का आरोप है कि यूपीए की सरकार में 1 राफेल की कीमत 600 करोड़ रूपये थी लेकिन वही केंद्र की बीजेपी सरकार में 1 राफेल की कीमत लगभग 1600 करोड़ रुपये हो गई है. वहीं कांग्रेस यह भी आरोप लगा रही है कि इस डील के जरिए सरकार ने रिलायंस कंपनी को फायदा पहुंचाया.
सरकार की तरफ से सफाई
सरकार की तरफ से इस पूरे मामले पर सफाई दी गई कि यूपीए सरकार के दौरान सिर्फ विमान खरीदना तय हुआ था. इसके स्पेयर पार्ट्स, हैंगर्स, ट्रेनिंग सिम्युलेटर्स, मिसाइल या हथियार खरीदने का कोई प्रावधान उस मसौदे में शामिल नहीं था. मोदी सरकार ने जो डील की है उसमें इन सभी बातों को ध्यान में रखा गया है. साथ ही केंद्र सरकार ने कहा कि मोदी सरकार ने जो डील की है उसमें राफेल के साथ मेटिओर और स्कैल्प जैसी दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइलें भी मिलेंगी.
फ्रांस्वा ओलांद का बयान
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का राफेल डील पर दिए गए बयान से मामला और ज्यादा सियासी हो गया था. बता दें कि इसी साल सितंबर में फ्रांस्वा ओलांद ने कहा था कि इस डील के लिए भारत सरकार की तरफ से रिलायंस के अलावा किसी कंपनी का नाम नहीं सुझाया गया था. उनके पास एक नाम के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था. बता दें कि जिस वक्त यह सौदा हुआ उस समय फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद थे.
कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दल बीजेपी पर हुई हमलावर
फ्रांसवा ओलांद के इस बयान के बाद से ही कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दल बीजेपी पर हमलावर है. वह सरकार पर इस डील में घोटाले का आरोप लगा रही है. कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दल इस सौदे को लेकर पीएम मोदी पर झूठ बोलने का आरोप लगा रही है. राहुल गांधी कई बार अपने भाषण में पीएम मोदी के लिए ''चौकीदार चोर है'' जैसे शब्दों का इसितेमाल किया है.
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का बयान सामने आते ही राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर पलटवार किया था. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए लिखा कि, "पीएम ने ही राफेल डील में बदलाव किया था. फ्रांस्वा ओलांद का धन्यवाद. अब हमें पता चल गया है कि पीएम ने दिवालिया हो चुके अनिल अंबानी को अरबों डॉलर की ये डील दिलाई. "
कोर्ट ने सभी याचिकाएं की खारिज
कोर्ट में वकील एम एल शर्मा, विनीत ढांडा, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, वकील प्रशांत भूषण और आप सांसद संजय सिंह ने याचिकाएं दाखिल की. सबने विमान सौदे में कमियां गिनाईं, तय प्रक्रिया का पालन न करने, पारदर्शिता की कमी, ज़्यादा कीमत देकर कम विमान लेने जैसे सवाल उठाए और भ्रष्टाचार का भी अंदेशा जताया. खास तौर पर भारत में फ्रेंच कंपनी दसॉल्ट का ऑफसेट पार्टनर रिलायंस को बनाए जाने पर सवाल उठाए गए. कहा गया कि सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को दरकिनार कर रिलायंस को फायदा पहुंचाने के लिए पहले से चल रही डील को रद्द कर नया समझौता किया गया.
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीदी में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि लड़ाकू विमानों की जरूरत है और देश इन विमानों के बगैर नहीं रह सकता है. तीन सदस्यीय पीठ की तरफ से फैसला पढ़ते हुए सीजेआई गोगोई ने कहा कि लड़ाकू विमानों की खरीद की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है.
फैसले पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
राफेल डील पर सुनवाई के लिए SC सही मंच नहीं है सच केवल जेपीसी जांच से ही सामने आएगा. हालांकि उन्होंने कहा कि वह SC के फैसले का स्वागत करती है.