नई दिल्ली: राफेल विवाद पर मचे विवाद के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज लोकसभा में बयान दिया. वित्त मंत्री ने कहा कि विमानों की कीमत नहीं बता सकते. उन्होंने 2005 में तत्कालीन रक्षा मंत्री प्रणव मुखर्जी के बयान का हवाला भी दिया.


जेटली ने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने भी कहा था कि हथियारों की कीमत नहीं बताई जा सकती. वित्त मंत्री ने राहुल गांधी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने राष्ट्रीय सुरक्षा को दांव पर लगा कर एक मुद्दा खड़ा किया.


इसके साथ ही वित्त मंत्री ने सरकार की आर्थिक नीतियों की खूबियां भी बताईं. आईएमएफ के आंकड़े का हवाला देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत अगले दो साल में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन जाएगा.


राहुल गांधी ने कहा- कुछ तो गड़बड़ है
वित्त मंत्री के जवाब पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी ने कहा, ''अरुण जेटली ने मेरा नाम लिया लेकिन मुझे जवाब देने का मौका नहीं मिला.''


राफेल सौदे पर सरकार पर हमला करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ''प्रधानमंत्री मेरे सवालों का जवाब इसलिए नहीं दे रहे क्योंकि इसमें कुछ तो गड़बड़ है. हमने 3 सवाल पूछे हैं, पीएम ने किसी का जवाब नहीं दिया. पहले सरकार ने कुछ कह था अब कुछ और कह रही है.''


क्या है राफेल डील?
भारत को 2019 के अंत तक फ्रांस से 36 राफेल लडाकू विमान मिलने हैं. सितंबर 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद को लेकर भारत और फ्रांस ने करार पर हस्ताक्षर किए थे.

कांग्रेस को क्या आपत्ति है?
कांग्रेस समेत विपक्ष के कई दल लगातार फ्रांस के साथ हुए इस करार को लेकर सवाल उठाते रहे हैं. कांग्रेस लगातार 36 विमानों की कीमत को लेकर सवाल उठा रही है.

कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने देश की नामी कंपनी एचएएल को नजरअंदाज कर दिया है. सौदे से एचएएल को बाहर कर रिलाइंस ग्रुप को फायदा पहुंचाया गया है. जबकि 2015 के यूपीए की डील में फ्रांस की डासू एविएशन और एचएएल में करार हुआ था.

एनडीए सरकार ने 2015 की सभी शर्तों को बदल कर पूरी तरह नया सौदा किया. खबरों के मुताबिक एनडीए के सौदे में 36 राफेल लड़ाकू विमान के लिए 58 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे.