आज 36 में से 5 राफेल फाइटर जेट फ्रांस से भारत आ रहे हैं. भारत के ही फाइटर पायलट राफेल उड़ाकर देश लेकर आएंगे. राफेल लाने वाले इंडियन एयरफोर्स के जाबांज पायलटों की टीम का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह को मिली है. उनकी टीम में दक्षिण कश्मीर से एयर कमोडोर हिलाल अहमद राथर, यूपी के बलिया से कोमोडोर मनीष सिंह, राजस्थान के जालोर से विंग कमांडर अभिषेक त्रिपाठी भी शामिल हैं.


कश्मीर के हिलाल अहमद राथर राफेल उड़ाने वाले पहले पायलट
एयर कमोडोर हिलाल अहमद राथर कश्मीर में रातों रात चर्चा का विषय बन गए हैं. हिलाल मौजूदा समय में फ्रांस में भारत के एयर अटैच हैं. भारतीय वायुसेना के इस अधिकारी के करियर विवरणों के अनुसार, दुनिया में यह सर्वश्रेष्ठ फ्लाइंग अधिकारी हैं. हिलाल की पढ़ाई जम्मू जिले के नगरोटा कस्बे में सैनिक स्कूल में हुई. वह वायुसेना में 17 दिसंबर, 1988 को एक लड़ाकू पायलट के रूप में शामिल हुए. 1993 में फ्लाइट लेफ्टिनेंट बन गए, 2004 में विंग कमांडर, 2016 में ग्रुप कैप्टन और 2019 में एयर कोमोडोर बने.


राफेल स्क्वाड्रन के पहले कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह
ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह 17वीं स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरो’ के कमांडिंग ऑफिसर हैं. हरकीरत सिंह पहले मिग-21 के पायलट थे. उन्हें एयरक्राफ्ट और खुद की जान बचाने के लिए 2009 में शौर्य चक्र से सम्मानित किया जा चुका है. साल 2008 में हरकीरत सिंह स्क्वाड्रन लीडर थे. उस साल 23 सितंबर की रात मिग-21 को दो विमानों वाली अभ्यास अवरोधन उड़ान बाइसन में भरनी थी. करीब 4 किमी की ऊंचाई पर अवरोध प्रक्रिया के दौरान अचानक इंजन में आग लग गई और तीन धमाके हुए, लेकिन हरकीरत सिंह ने तुरंत आग पर काबू पा लिया और विमान को सुरक्षित लैंड कराया.


बलिया से एयर कोमोडोर मनीष सिंह
उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद में बकवा गांव के रहने वाले मदन सिंह के बेटे मनीष भी राफेल विमान भारत लाने वाले पहले बैच में शामिल है. जब बलिया के लोगों ने पायलट्स की ग्रुप पिक्चर में मनीष सिंह को देखा, स्थानीय लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा. मनीष सिंह ने बलिया में प्रारंभिक शिक्षा के बाद सैनिक स्कूल से पढ़ाई की है.


मनीष साल 2002 में इंडियन एयरफोर्स में पायलट बने. अंबाला और जामनगर के बाद 2017-2018 में इनकी तैनाती गोरखपुर में थी. फ्रांस से राफेल डील के बाद मनीष को प्रशिक्षण के लिए सरकार ने फ्रांस भेजा.


विंग कमांडर अभिषेक त्रिपाठी
राजस्थान में जालोर शहर के ब्रह्मपुरी में रहने वाले अभिषेक त्रिपाठी कुश्ती के दांव-पेच के बाद अब आसमान का सिंकदर राफेल से उड़ा रहे हैं. उन्होंने 2001 में एनडीए की परीक्षा उत्तीर्ण कर अपने सपनों को उड़ान दी. इसके बाद फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में वायुसेना में अपनी सेवाएं दी. इसके बाद फ्लाइंग लेफ्टिनेंट, स्क्वाडर्न लीडर और अब में अंबाला में विंग कमांडर के पद पर कार्यरत हैं.


7000 किमी का सफर तय कर आएगा राफेल
फ्रांस से 7000 किमी का सफर तय करके पांच राफेल विमान बुधवार को अंबाला एयरबेस पर पहुंचेंगे. इन पांच राफेल विमानों ने सोमवार को फ्रांसीसी शहर बोडरे में मेरिनैक एयर बेस से उड़ान भरी थी. बेड़े में तीन सिंगल सीटर और दो डबल सीट वाले विमान शामिल हैं. इन्हें भारतीय वायुसेना में इसके 17वें स्क्वाड्रन के हिस्से के रूप में शामिल किया जाएगा, जिसे अंबाला एयर बेस पर 'गोल्डन एरो' के रूप में भी जाना जाता है.


पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच राफेल मौजूदा परिदृश्य में भारत के लिए एक गेम चेंजर होगा. कहा जा रहा है कि यह भारत की वायुशक्ति को कई गुना बढ़ा देगा. राफेल 4.5 जेनरेशन का विमान है और इसमें नवीनतम हथियार व बेहतरीन सेंसर लगे हैं.


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