नई दिल्ली: निजामुद्दीन मरकज में शामिल हुए रफीक अली सुल्तानपुरी क्वॉरंटाइन सेंटर में 45 दिन बिताने के बाद असम जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि हमें जब निजामुद्दीन से लेकर गए मेडिकल स्टाफ ने हर तरह से हमारी मदद की. रमजान के महीने में हमारे लिए किसी चीज की कमी नहीं छोड़ी गई.


जमात में कई तरह से होती थी फंडिंग


ईडी को पूछताछ के दौरान पता चला है कि जमात से जुड़े पैसों का लेन देन अलग-अलग लोग करते थे लेकिन पैसों वाले खाते का हिसाब मौलाना साद की तीन बेटों मोहम्मद यूसुफ मोहम्मद सईद और मोहम्मद इलियास के साथ-साथ मौलाना साद के भांजे ओवैस के पास रहता था.


जांच एजेंसी के आला अधिकारी ने बताया कि सामने आए तथ्यों को जांचा जा रहा है. साथ ही उनकी तह तक पहुंचने के लिए मौलाना साद के तीन बेटों और भांजे से पूछताछ की तैयारी की जा रही है. अधिकारी ने कहा कि अभी यह आरंभिक तथ्य हैं. इनकी जांच के दौरान यह देखने की कोशिश की जा रही है कि अवैध लेनदेन कितना हुआ है और  किस तरीके से हुआ है.





मामले की जांच जारी


जांच एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि पैसे को लेकर जो तथ्य सामने आए हैं उन से पता चला है कि जमात को इस नगद फंडिंग के अलावा बाहर से आने वाला पैसा भी मिलता था. साथ ही जमात बाहर पैसे क्यों भेजता था यह अपने आप मे अभी भी रहस्य है.


इस रहस्य के तारों को खोलने की कोशिश की जा रही है. साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि इन लोगों ने धर्म के नाम पर आयकर विभाग से मिलने वाली छूट ली हुई थी या नहीं. अगर नहीं ली हुई थी तो क्या इन पैसों का हिसाब आयकर विभाग को दिया जाता था या नहीं. जांच अभी जारी है.


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