राघव चड्ढा का आरोप, कहा- दिल्ली के लिए पानी के वैध हिस्से को रोक रहा है हरियाणा
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने दावा करते हुए कहा कि हरियाणा दिल्ली के पानी के वैध हिस्से को रोक रहा है. साथ ही यमुना में छोड़ा जा रहा पानी ‘‘अब तक के सबसे निचले स्तर’’ पर है.
नई दिल्ली: दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने रविवार को दावा किया कि हरियाणा दिल्ली के पानी के वैध हिस्से को रोक रहा है. साथ ही पड़ोसी राज्य द्वारा यमुना में छोड़ा जा रहा पानी ‘‘अब तक के सबसे निचले स्तर’’ पर है.
उन्होंने कहा कि हरियाणा द्वारा दिल्ली के पानी के हिस्से को कथित तौर पर रोके जाने की वजह से वजीराबाद तालाब के जलस्तर में गिरावट आई है और चंद्रावल, वजीराबाद, ओखला जल शोधन संयंत्रों के परिचालन क्षमता घटी है.
एक फुट की गिरावट से भी शहर पर काफी प्रभाव पड़ सकता है- राघव चड्डा
वजीराबाद तालाब में घटे हुए जलस्तर की तस्वीरों को साझा करते हुए चड्ढा ने ट्वीट में कहा, ‘‘हरियाणा द्वारा यमुना में छोड़ा जा रहा पानी अब तक के सबसे निचले स्तर पर है. एक फुट की गिरावट से भी शहर पर काफी प्रभाव पड़ सकता है लेकिन इस समय तालाब का जलस्तर 674 फुट से नीचे गिरकर 667 फुट हो गया. हरियाणा सरकार दिल्ली के वैध हिस्से को रोक रही है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हरियाणा से यमुना में शून्य क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है.’’
We are witnessing all-time low water levels in Yamuna river as Delhi's water share withheld by Haryana.@DelhiJalBoard has decided to move Hon'ble Supreme Court against Haryana Govt seeking due supply of Delhi's legitimate share as already determined by the Hon'ble SC in 1995.
— Raghav Chadha (@raghav_chadha) July 11, 2021
गर्मी के महीने में दिल्ली जल बोर्ड ने 1,150 एमजीडी जल आपूर्ति की मांग की
राघव चड्डा ने बताया कि चंद्रावल जल शोधन संयंत्र एक दिन में 90 मिलियन गैलन (एमजीडी) की सामान्य क्षमता की जगह 55 मिलियन गैलन जल ही शोधित कर रहा है. दिल्ली जल बोर्ड, गर्मी के महीने में शहर की 1,150 एमजीडी जल आपूर्ति की मांग की जगह 945 एमजीडी जल की आपूर्ति ही कर पा रहा है. मौजूदा समय में दिल्ली को हरियाणा से 609 एमजीडी की जगह 479 एमजीडी जल ही मिल रहा है. इसके अलावा दिल्ली को 90 एमजीडी पानी भूजल से और 250 एमजीडी ऊपरी गंगा नहर से मिलता है.
शनिवार को चड्ढा ने कहा था कि दिल्ली में जल संकट के लिए सिर्फ और सिर्फ हरियाणा सरकार जिम्मेदार है क्योंकि वह क़ानूनी रूप से तय मात्रा से 120 एमजीडी कम जल की आपूर्ति कर रही है.
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