भोपाल : भारत के मशहूर शायर राहत इंदौरी ने पाकिस्तान दिवस की पूर्व संध्या पर कराची में 22 मार्च को आयोजित अंतरराष्ट्रीय मुशायरे में शामिल होने का न्योता ठुकरा दिया है. इंदौरी ने हालांकि इस तारीख को भारत में अपनी मसरूफियत का हवाला देते हुए पाकिस्तान के इस कार्यक्रम में शिरकत से इनकार किया है.


अब पाकिस्तान को पहल करते हुए ईमानदार कदम उठाने चाहिये


लेकिन, उनका मानना है कि दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच जारी तनाव घटाने के लिये अब पाकिस्तान को पहल करते हुए ईमानदार कदम उठाने चाहिये. इंदौरी ने बताया, ‘मैंने भारत में करीब दो महीने पहले से तय अपने कार्यक्रम की वजह से कराची की गैर सियासी संस्था शहरे काइद आलमी मुशायरा कमेटी के 22 मार्च को आयोजित अंतरराष्ट्रीय मुशायरे का न्योता कबूल नहीं किया.’


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भारत को लेकर पाकिस्तान के रुख को देखते हुए भी यह फैसला किया


क्या उन्होंने आतंकवाद और अन्य द्विपक्षीय मसलों पर भारत को लेकर पाकिस्तान के रुख को देखते हुए भी यह फैसला किया, इस प्रश्न पर 67 वर्षीय शायर ने कहा, ‘मैंने कराची के मुशायरे में शामिल होने के लिये अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में बदलाव की कोई कोशिश नहीं की, क्योंकि मैं एक हिंदुस्तानी हूं और मुझे (भारत-पाकिस्तान के बीच की) सारी घटनाएं दिखायी देती हैं. मुझे कहीं जाने की ख्वाहिश होती है और कहीं जाने की ख्वाहिश नहीं होती है.’


पाकिस्तान से भाईचारे और खुलूस के रिश्ते कायम किये जायें


उन्होंने बताया, ‘मैं वर्ष 1986 से अब तक पाकिस्तान में आयोजित मुशायरों में 10-20 मर्तबा शामिल हो चुका हूं. हालांकि, मुझे कुछ लोगों ने कहा कि भारत की ओर से कोशिशें होती हैं कि पाकिस्तान से भाईचारे और खुलूस के रिश्ते कायम किये जायें. लेकिन दूसरी ओर से ऐसी कोशिशें नहीं होतीं.’


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‘दिल्ली में हमीं बोला करें अम्न की बोली, यारों कभी तुम लोग भी लाहौर से बोलो’


इंदौरी इन्हीं हालात पर अपना पुराना शेर याद करते हैं, ‘दिल्ली में हमीं बोला करें अम्न की बोली, यारों कभी तुम लोग भी लाहौर से बोलो.’ यह पूछे जाने पर कि भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में जमी बर्फ पिघलाने के लिये अब पाकिस्तान को ईमानदार पहल करने की जरूरत है, उन्होंने फौरन जवाब दिया कहा, ‘बिल्कुल, अगर दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच अम्न और खुशियां कायम करनी हैं, तो पाकिस्तान को इस दिशा में कोशिश करनी चाहिये.’