राहत इंदौरी के वो शेर जिनपर वाह-वाह करते नहीं थकते थे लोग, इश्क से लेकर हिंन्दुतान सभी हैं शामिल
मंगलवार को राहत इंदौरी का निधन होने के बाद अदब की मंचीय दुनिया ने वह नामचीन दस्तखत खो दिया है जिनका काव्य पाठ सुनने के लिये दुनिया भर के मुशायरों और कवि सम्मेलनों में लोग बड़ी तादाद में उमड़ पड़ते थे.
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मंगलवार को मशहूर शायर राहत इंदौरी का निधन हो गया. राहत साहब की कई ऐसी पंक्तियां हैं जो आम लोगों की जबान पर रहती है. पढ़ें राहत इंदौरी के लिखे कुछ बेहद खास लाइनें-
राहत साहब की मशहूर पंक्तियां- -सभी का खूब है शामिल यहां की मिट्टी में किसी के बाप का हिंदोस्तान थोड़ी है.
-ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था.
-मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो आसमां लाए हो ले आओ जमीं पर रख दो.
-शाखों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हम आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे.
-किसने दस्तक दी, कौन है आप तो अंदर हैं बाहर कौन है.
-मैं जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना लहू से मेरी परेशानी पर हिंदुस्तान लिख देना.
-दो गज सही मगर ये मेरी मिल्कियत तो है, ऐ मौत तूने मुझको जमींदार कर दिया.
-अफवाह थी की मेरी तबीयत खराब है लोगों ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया.
-बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के न लिए हम ने खैरात भी मांगी है तो खुद्दारी से.
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