नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राजस्थान में जारी सियासी गहमागहमी के बीच बीजेपी पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि सरकारें जनता के बहुमत से बनती हैं, राज्यपाल को विधानसभा का सत्र बुलाना चाहिए.
राहुल गांधी ने #ArrogantBJP के साथ ट्वीट कर कहा, ''देश में संविधान और क़ानून का शासन है. सरकारें जनता के बहुमत से बनती व चलती हैं. राजस्थान सरकार गिराने का भाजपाई षड्यंत्र साफ़ है. ये राजस्थान के आठ करोड़ लोगों का अपमान है. राज्यपाल महोदय को विधान सभा सत्र बुलाना चाहिए ताकि सच्चाई देश के सामने आए.''
बता दें कि कांग्रेस जल्द से जल्द विधानसभा सत्र बुलाए जाने की मांग कर रही है. इसी मांग को लेकर आज कांग्रेस विधायक धरने पर बैठ गए. हालांकि विधायकों ने राज्यपाल की तरफ से आश्वासन मिलने के बाद दोपहर से जारी धरना शुक्रवार की रात समाप्त कर दिया.
राज्य के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने संवाददाताओं को बताया कि राज्यपाल मिश्र ने विधानसभा सत्र को लेकर कुछ सवाल पूछे हैं. मंत्रिमंडल उन पर विचार कर जवाब राज्यपाल को भिजवाएगा.
शर्मा ने कहा, ‘‘राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख हैं और उनका पूरा सम्मान है. जिस तरह से उन्होंने आश्वस्त किया है, हमें उनकी मंशा पर कोई संदेह नहीं करना चाहिए. उन्होंने (राज्यपाल) कहा है कि मेरे कुछ सवाल हैं, आप मंत्रिमंडल में उन पर विचार कर उनका जवाब मुझे भिजवा दीजिए, मैं संविधान के अनुसार ही कोई फैसला लूंगा.’’
इससे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बताया, ‘‘राज्यपाल ने कहा है कि वह बगैर किसी दबाव और द्वेष के संविधान की अनुपालना करेंगे. उन्होंने कहा है कि कुछ टिप्पणियां लिखकर उन्होंने एक छोटा सा आदेश मुख्यमंत्री को भेजा है. जैसे ही मंत्रिमंडल उन टिप्पणियों को निदान कर देगा तो संविधान की धारा 174 के तहत वह संविधान की अनुपालना के लिए कर्तव्यबद्ध हैं.’’
इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजभवन के बाहर कहा, ‘‘हमारी कैबिनेट ने विधानसभा का सत्र बुलाने का फैसला किया. पहले हमने की. उसका विपक्ष को भी स्वागत करना चाहिए. यही परंपरा रही है लोकतंत्र की. यहां उल्टी गंगा बह रही है, हम कह रहे हैं कि हम सत्र बुलाएंगे और अपना बहुमत सिद्ध करेंगे. कोरोना वायरस और बाकी मुद्दों पर चर्चा करेंगे.’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘राज्यपाल हमारे संवैधानिक मुखिया हैं. हमने उनसे आग्रह किया. मुझे यह कहते हुए संकोच नहीं है कि बिना ऊपर के दबाव के वह इस फैसले को रोक नहीं सकते थे क्योंकि राज्य कैबिनेट का जो फैसला होता है राज्यपाल उससे बंधे होते हैं.’’