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जर्मनी में राहुल ने गिनाई कांग्रेस की उपलब्धियां, नोटबंदी और GST को लेकर PM मोदी पर साधा निशाना
राहुल गांधी ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि 70 साल पहले भारत के गांव जाति के आधार पर बंटे होते थे. दलितों के साथ भेदभाव होता था. 70 साल पहले हमने वहां से शुरूआत की और धीरे धीरे बदलाव आने लगा.
नई दिल्लीः कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज ब्रिटेन और जर्मनी की चार दिवसीय यात्रा पर बुधवार को हेम्बर्ग पहुंच गए. यहां पहले राहुल गांधी ने राज्यमंत्री और सांसद नील्स एन्नेन से मुलाकात की. इसके बाद हेम्बर्ग में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने भारत और जर्मनी के कई मुद्दों पर अपनी राय रखी. वहां सवालों का जवाब देते हुए एक एनआरआई ने उनसे गले लगने की इच्छा जाहिर की तो उसके लिए भी राहुल गांधी तैयार हो गए.
राहुल गांधी ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि 70 साल पहले भारत के गांव जाति के आधार पर बंटे होते थे. दलितों के साथ भेदभाव होता था. 70 साल पहले हमने वहां से शुरूआत की और धीरे धीरे बदलाव आने लगा. मनरेगा, भोजन का अधिकार, आरटीआई आदि फैसलों से पहले बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया ताकि सबको विकास का लाभ मिले
भारत में विविधता है. 2014 में आई मोदी सरकार को छोड़ कर सरकारों ने दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक को मदद की नीति अपनाई. लेकिन आज की सरकार द्वारा इस विचार पर हमला किया जा रहा है. उन्हें लगता है दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक, किसान आदि को अधिकार ना मिले. हाल में ही सरकार द्वारा एससी-एसटी कानून को खत्म कर दिया गया.
लिंचिंग, दलित, अल्पसंख्यक पर हमलों की खबर जब आप पढ़ते हैं तो उसकी वजह यही है.
नोटबंदी, जीएसटी पर बोले राहुल गांधी
नोटबन्दी से छोटे व्यापारियों को नुकसान हुआ और लाखों लोग बेरोजगार हो गए. चीन रोज 50 हजार रोजगार देता है जबकि भारत केवल 450. इसी तरह जीएसटी को गलत तरीके से लागू किया गया. इससे काफी व्यापार प्रभावित हुआ.
अमेरिका-इराक पर भी राय रखी
2003 में अमेरिका ने इराक पर हमला किया. कुछ महीने में सद्दाम हुसैन की सेना को अमेरिका ने हरा दिया. लेकिन उससे पहले तिकृति समुदाय के लोगों को नौकरियों से बाहर किया गया था. उस वजह से बाद में आईएसआईएस फैला. विकास से लोगों को दूर रखेंगे तो कोई उन्हें भटका देगा. असहमति के बावजूद आपको दूसरों को सुनना पड़ता है. नफरत आपकी पसंद होती है और ये खतरनाक है. दुनिया में नफरत बहुत है लेकिन कोई किसी की सुनता नहीं. आज के दौर में सुनना जरूरी है.कांगेस भारत में इसी रास्ते पर चल रही है.
प्रधानमंत्री मोदी को गले लगाने के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि कुछ कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि गले नहीं लगना चाहिए था. लेकिन मैंने कहा कि ये जरूरी था. वार्तालाप ही समाधान है. अहिंसा भारत की पहचान है. नफरत का जवाब नफरत नहीं हो सकता. आपकी प्रतिक्रिया पर आपका नियंत्रण होता है. जब प्रधानमंत्री मेरे खिलाफ नफरत की बातें कह रहे थे तब मैंने गले लगाने की सोची. हालांकि उन्हें ये पसन्द नहीं आया.
हिंसा का जवाब क्या है इस सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि मेरे पिता को 1991 में एक आतंकी ने मारा. 2009 में मैंने उस शख्स (प्रभाकरण) को श्रीलंका में मरा हुआ देखा. लेकिन मैं खुश नहीं था. प्रियंका से बात की तो वो भी खुश नहीं थी. दरअसल मरने वाले के बच्चे में मैंने खुद को देखा. हिंसा का मुकाबला अहिंसा से ही हो सकता है. हिंसा का मुकाबला और हिंसा नहीं है. इसके लिए काफी कोशिश करनी होगी. मैंने अपने दादी, पिता को हिंसा के कारण खोया है. मैं अनुभव से कह रहा हूँ. हिंसा का जवाब माफी ही है. सही-गलत का झगड़ा चलता रहता है लेकिन दोनों तरफ सही और गलत लोग होते हैं. लोगों को लगता है कि अहिंसा कमजोरी है लेकिन ये ताकत है.
दुनिया में भारत की भूमिका के सवाल पर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भारत की भूमिका अमेरिका और चीन में संतुलन बिठाना है. अमेरिका-चीन टकराते हैं तो ये सबसे बुरा होगा. भारत और यूरोप की भूमिका संतुलन बनाने की होगी. भारत का अमेरिका से एक विशेष रिश्ता है. चीन के मुकाबले हम अमेरिका के ज्यादा करीब हैं. ये दोनों दुनिया की ताकत है. हम वो करेंगे जो हमारे हित में होगा.
महिला सुरक्षा के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस बात से सहमत नहीं हूं कि दुनिया में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित जगह भारत है. लेकिन महिलाओं के लिए काफी कदम उठाने की जरूरत है. हिंसा बढ़ रही है जिसका खामियाजा महिलाओं को उठाना पड़ रहा है. सब कुछ इस पर निर्भर करता है कि पुरुष महिलाओं को कैसे देखते हैं? मैं राजनीतिक दलों में संसद में महिलाओं की संख्या नहीं देखता. लेकिन हम कांग्रेस में परिवर्तन ला रहे हैं.
रोजगार पर क्या बोले
रोजगार देने में आई गिरावट से टकराव पैदा हो रहा है. विकास की बात होती है लेकिन रोजगार नहीं है. पश्चिम को इराक और सीरिया की नीति पर विचार करना चाहिए. भारत में रोजगार की समस्या है लेकिन प्रधानमंत्री उसे स्वीकार नहीं करते. 2004 में जो शुरू हुआ वो 2014 में पूरी तरह रुक गया. छोटे और मध्यम व्यापार सबसे ज्यादा रोजगार देते हैं. उस पर ध्यान देना होगा.
यूरोप और भारत-चीन संबंधों पर बोले
भारत और चीन किसी रेस में नहीं है. चीन भले ही भारत के मुकाबले तेजी से विकास कर रहा हो लेकिन भारत में लोग अपनी मर्जी से अपनी बात कह सकते हैं और यही बात महत्वपूर्ण है. यूरोप में काफी ताकत है हालांकि यहां भी विजन की जरूरत है. जनसंख्या नियंत्रण के सवाल पर उन्होंने कहा कि जो राज्य आर्थिक तरक्की कर रहे हैं वहां जनसंख्या स्थिर हो रही है. जहां विकास नहीं है वहां जनसंख्या की समस्या है. जैसे बिहार, यूपी, मध्यप्रदेश.
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अवधेश कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
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