'हमें नीतीश कुमार की जरूरत नहीं, वो दबाव में बदल गए', बिहार में राहुल गांधी ने खोला मोर्चा
Bharat Jodo Nyay Yatra: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना की मांग करते हुए कहा कि दलितों और अन्य पिछड़ा वर्गों को देश के सभी क्षेत्रों में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है.
Rahul Gandhi Speech: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार (30 जनवरी) को बिहार में हुए जातिगत सर्वे को लेकर बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सर्वे के लिए हमने कहा था, लेकिन बीजेपी इसके लिए कभी राजी नहीं रही. बिहार में महागठबंधन सामाजिक न्याय के लिए लड़ाई लड़ेगा. ऐसे में हमें नीतीश कुमार की जरूरत नहीं है. वो दबाव में बदल गए.
बिहार के पूर्णिया में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ''मैंने नीतीश कुमार से साफ कह दिया था कि आपको बिहार में जातिगत जनगणना करनी पड़ेगी. हमने नीतीश कुमार से दबाव में बिहार में जातिगत जनगणना कराई थी, लेकिन बीजेपी नहीं चाहती है कि देश में जातिगत जनगणना हो.''
उन्होंने इस दौरान जाति जनगणना की मांग करते हुए कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समाज देश का सबसे बड़ा समाज है, लेकिन मै अगर आपसे सवाल करूंगा कि देश में ओबीसी समाज की आबादी कितनी है तो आप नहीं बता पाएंगे. इस देश में किसकी कितनी आबादी है? इसको लेकर गिनती हो जानी चाहिए है. इससे हमें पता चलेगा कि किस समाज की कितनी जनसंख्या है, लेकिन बीजेपी ये नहीं चाहती.
राहुल गांधी ने क्या कहा?
राहुल गांधी ने कहा किभारत जोड़ो न्याय यात्रा में हम 5 न्याय की बात कर रहे हैं. इसमें एक न्याय भागीदारी न्याय है. इस देश की सरकारी संस्थाओं को 90 अफसर चलाते हैं, जिनमें सिर्फ 3 अफसर ओबीसी वर्ग के हैं. इस सरकार में ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग के लोगों की कोई भागीदारी नहीं है.
हमें एक मौका दें- राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा,‘‘ केंद्र की मोदी सरकार किसानों की चिंताओं को दूर करने में विफल रही है. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप हमें एक मौका दें और हम आपका विश्वास दोबारा जीतने की कोशिश करेंगे. ’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘कृपया ध्यान दें कि ये खोखले शब्द नहीं हैं. हमारा पिछला रिकॉर्ड अपने बारे में बोलता है. हम किसान हितैषी भूमि अधिग्रहण बिल लाए. हमने 72,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया और छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में, जहां कांग्रेस हाल तक सत्ता में थी, हमने सुनिश्चित किया कि किसानों को उनकी उपज के लिए पर्याप्त कीमत मिले.’’
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