नई दिल्ली: लड़ाकू विमान राफेल डील को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर पीएम मोदी पर सवाल उठाए हैं. राहुल गांधी ने कहा कि ये पहली बार हो रहा है जब सरकार देश को यह नहीं बता रही कि एक लड़ाकू विमान की कीमत क्या है? वहीं वित्त मंत्री जेटली ने राफेल डील के सवाल पर चुप्पी साध ली.


राहुल गांधी ने कहा, ''पहली बार हो रहा है कि रक्षा मंत्री कह रहीं है कि जो पैसा दिया है विमान खरीदने के लिए वो किसी को नहीं बताएंगे. ये क्या तरीका है? मैंने गुजरात के चुनाव में भी यह मुद्दा उठाया. मैंने कहा कि डील में घपला हुआ है.''


प्रधानमंत्री मोदी को निशाने पर लेते हुए राहुल गांधी ने कहा, ''प्रधानमंत्री ने पर्सनली ये डील करवाई है. इसके लिए प्रधानमंत्री पर्सनली पेरिस गए. वहां पर डील में बदवाल किए गए. ये बात पूरा देश जानता है. लेकिन रक्षा मंत्री कहती हैं कि हम देश को नहीं बताएंगे. इसका सिर्फ एक ही मतलब कि कोई ना कोई घपला जरूर हुआ है.''


रक्षा मंत्री ने राज्यसभा में क्या कहा?
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल डील से जुड़ी सूचनाएं गोपनीय हैं, इसलिए इसे साझा नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा, ''भारत और फ्रांस के बीच राफेल विमान की खरीद को लेकर हुए अंतर-सरकार समझौता के अनुच्छेद 10 के अनुसार, 2008 में भारत और फ्रांस के बीच किए गए सुरक्षा समझौते के प्रावधान विमानों की खरीद, गुप्त सूचनाओं की सुरक्षा व सामग्री के आदान-प्रदान पर लागू हैं."


क्या है डील?
भारत को 2019 के अंत तक फ्रांस से 36 राफेल लडाकू विमान मिलने हैं. सितंबर 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद को लेकर भारत और फ्रांस ने करार पर हस्ताक्षर किए थे.


कांग्रेस को क्या आपत्ति है?
कांग्रेस समेत विपक्ष के कई दल लगातार फ्रांस के साथ हुए इस करार को लेकर सवाल उठाते रहे हैं. कांग्रेस लगातार 36 विमानों की कीमत को लेकर सवाल उठा रही है.


कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने देश की नामी कंपनी एचएएल को नजरअंदाज कर दिया है. सौदे से एचएएल को बाहर कर रिलाइंस ग्रुप को फायदा पहुंचाया गया है. जबकि 2015 के यूपीए की डील में फ्रांस की डासू एविएशन और एचएएल में करार हुआ था.


एनडीए सरकार ने 2015 की सभी शर्तों को बदल कर पूरी तरह नया सौदा किया. खबरों के मुताबिक एनडीए के सौदे में 36 राफेल लड़ाकू विमान के लिए 58 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे.