नई दिल्ली: राफेल डील पर मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है.  कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि डील की प्रक्रिया में कोई कमी नही दिख रही है.  विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बैकफुट पर आई बीजेपी के लिए यह किसी संजीवनी से कम नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के इस बड़े फैसले के सियासी नफा-नुकसान का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि फैसले के मात्र दो घंटे के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की, बीजेपी अध्यक्ष प्रेस कांफ्रेंस करने आए, कई केंद्रीय मंत्री मीडिया से मुखातिब हुए, राजनाथ सिंह ने संसद में बयान दिया और संसद में खूब हंगामा हुआ. सभी के निशाने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी थे. संसद में 'राहुल गांधी माफी मांगो' जैसे नारे गूंज रहे थे.


दरअसल, सुप्रीम कोर्ट का फैसला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए बड़ा झटका है. राहुल राफेल डील मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार सवाल खड़े करते रहे थे. उनका कहना था कि रिलायंस को फायदा पहुंचाने के लिए डील में बदलाव किया गया और इस भ्रष्टाचार में सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हैं.


पिछले दिनों राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था, ''अनिल अंबानी की वास्तविक पूंजी को 30,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने के लिए राफेल सौदा किया गया." इतना ही नहीं विधानसभा चुनावों में राहुल ने जमकर राफेल डील को घोटाला बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी को घेरा. उन्होंने 'चौकीदार चोर है' जैसे नारे लगवाए. राहुल ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भी पीएम मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को घेरा था. सरकार आरोपों को खारिज करती रही.


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राफेल डील पर राहुल और अधिक हमलावर तब हो गए थे जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रास्वा ओलांद ने कहा था कि दसॉल्ट को ऑफसेट कंपनी के रूप में केवल रिलायंस का प्रस्ताव मिला था. हालांकि फ्रांस के मौजूदा राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा था कि कंपनी चुनने को लेकर किसी प्रकार का दबाव नहीं था.


तमाम आरोप आज सबूत की कसौटी पर सुप्रीम कोर्ट में फेल हो गए. पहली बार था जब मोदी सरकार पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद साफ है कि अब विपक्षी पार्टियां राफेल मुद्दे को और धार नहीं दे पाएगी. यानि आगामी लोकसभा चुनाव में उसके पास भ्रष्टाचार के मुहाने पर मोदी सरकार को घेरने के लिए कुछ नहीं बचेगा.


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हालांकि कांग्रेस का कहना है कि वह जेपीसी की पुरानी मांग पर अब भी कायम है. कोर्ट ने पहले ही कहा था कि वह कीमत पर फैसला नहीं करेगा.  आज अपने फैसले में कोर्ट ने कीमत को लेकर लगाए गए आरोप पर कहा  कि "हमें सरकार ने विमान की मूल कीमत और आधुनिक उपकरण लगाने के बाद की कीमत की जानकारी दी है.  सरकार ये जानकारी CAG और पब्लिक एकाउंट्स कमिटी को भी दे चुकी है. हमने सीलबंद लिफाफे में दी गई जानकारी को देखा है. हम इस बात पर आश्वस्त हैं कि विमानों की इस खरीद में देश को व्यवसायिक लाभ हुआ है. कोर्ट का ये काम नहीं कि वो कीमतों की तुलना करे"


कीमतों की तुलना एक ऐसा मुद्दा है जिसपर विपक्ष के पास सवाल उठाने का मौका अब भी है जिसे वो आसानी से नही जाने देगा. कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ''कोर्ट राफेल मामले पर फैसला नहीं कर सकता, सिर्फ जेपीसी जांच में सभी फाइलों और नोटिंग की जांच करके फैसला किया जा सकता है.'' जाहिर है विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़ा करने के रास्ते अब भी ढूंढ़ रहा है .


बीजेपी अब आर-पार के मूड में है. अमित शाह ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर कहा, ''राफेल मुद्दे पर संसद में चर्चा के लिए हम तैयार है और मैं कांग्रेस पार्टी को चुनौती देता हूं की वो मुद्दे के आधार पर सदन में जितने समय तक चर्चा करना चाहते हैं करें.''


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