LAC पर चीन के साथ ‘डिसइंगेजमेंट’ को लेकर राहुल गांधी ने मोदी सरकार से पूछे ये 3 सवाल
डिसइंगेजमेंट की रूपरेखा 24 नवंबर को नौवें दौर के कोर कमांडर स्तर की बैठक में बनी थी. लेकिन दोनों देशों के टॉप मिलिट्री और पॉलिटिकल लीडरशिप से हरी झंडी मिलने के बाद इसे अंजाम दिया गया.
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पैंगोंग लेक के उत्तर और दक्षिणी तट से भारत और चीन के सैनिकों की वापसी के बीच इसको लेकर सियासत भी खूब हो रही है. डिसइंगेजमेंट को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरफ से उठाए गए सवालों के बाद रक्षा मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को बयान जारी किया गया. इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए निशाना साधा. इस बीच, राहुल ने एक बार फिर से डिसइंगेजमेंट को लेकर केन्द्र सरकार से तीन सवाल पूछते हुए जवाब मांगा है.
राहुल गांधी गांधी के तीन सवाल-
1-क्यों हमारी सेना के जवानों को कैलाश रेंज में मजबूती वाले पॉजिशन से वापस बुलाया जा रहा है?
2- क्यों हम अपनी जमीन सौंप रहे हैं और फिंगर 4 से सेना की वापसी कर फिंगर 3 पर ला रहे हैं?
3-क्यों चीन डेपसांग प्लेन्स और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स से सैनिकों को वापस नहीं बुलाया है?
GOI must explain-
1. Why our forces are withdrawing from dominant positions in Kailash Ranges? 2. Why we are ceding our territory & withdrawing from forward base at Finger 4 to Finger 3? 3. Why has China not withdrawn from our territory in Depsang Plains & Gogra Hot Springs? — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 12, 2021
जेपी नड्डा का राहुल पर हमला
गौरतलब है कि इससे पहले, एलएसी पर डिसइंगेजमेंट के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोपों पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शुक्रवार को बड़ा पलटवार किया है. नड्डा ने कहा कि वर्तमान डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया में सरकार की तरफ से भारतीय जमीन नहीं दी गई है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एबीपी न्यूज के वीडियो डॉक्यूमेंट्री का एक हिस्सा ट्वीट करते हुए कहा- “अगर किसी ने हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन छोड़ने जमीन का पाप किया तो यह एक भ्रष्ट, कायर वंश है जिसने देश को अपनी शक्ति को बनाए रखने के लिए तोड़ दिया है.”
कैसे शुरू हुई डिसइंगेजमेंट?
गौरतलब है कि डिसइंगेजमेंट की रूपरेखा 24 नवंबर को नौवें दौर के कोर कमांडर स्तर की बैठक में बनी थी. लेकिन दोनों देशों के टॉप मिलिट्री और पॉलिटिकल लीडरशिप से हरी झंडी मिलने के बाद इसे अंजाम दिया गया. पैंगोंग-त्सो के दक्षिण में कम से कम तीन जगह से भारत और चीन के टैंक पीछे हट गए हैं. इनमें से कुछ टैंक 500 मीटर से लेकर एक किलोमीटर तक पीछे चले गए हैं. पहले इन जगह पर दोनों देशों के टैंकों की पोजिशन महज़ 40-50 मीटर थी.
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