नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आयोजित कांग्रेस के ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर बीजेपी और खास तौर पर आरएसएस पर जम कर हमला बोला. राहुल ने कहा कि देश बीजेपी के 2-3 नेताओं और आरएसएस का गुलाम बन गया है. कोई खुल कर अपनी बात नहीं कह सकता. हालांकि विपक्षी एकता का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने कहा साल भर के अंदर प्रधानमंत्री मोदी, बीजेपी अध्यक्ष शाह और संघ प्रमुख भागवत को लोगों की ताकत का एहसास हो जाएगा. आरएसएस पर राहुल का हमला अहम इस मायने में भी है कि हाल में ही पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने गए थे.


ओबीसी समाज की बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि इस समाज में हुनर भरा है. ये मिहनत करते हैं लेकिन हमेशा पर्दे के पीछे रखा जाता है. राहुल ने कहा कि हिंदुस्तान में हुनर को पुरस्कृत नहीं किया जाता. बैंक और राजनीति के दरवाजे इस समाज के लिए बन्द हैं. ओबीसी समाज को लुभाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस समाज को उसका हक दिलवाएगी. यहां भी आरएसएस पर आरोप लगाते हुए राहुल ने कहा कि आरएसएस ओबीसी समाज में फूट डालने का काम कर रही है.





प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए राहुल ने कहा कि 20-25 लोग मोदी की मार्केटिंग में पैसा लगाएंगे, और मोदी उनके लिए सरकार चलाएंगे. किसानों का मुद्दा उठाते हुए राहुल ने फिर आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी ने 15 उद्योगपतियों का ढाई लाख करोड़ कर्ज माफ कर दिया लेकिन किसानों के लिए कुछ नहीं किया. राहुल ने कहा कि बीजेपी में सरकार की चाभी आरएसएस के पास होती है. जबकि कांग्रेस में बस की चाभी आम लोगों के हाथों में होती है. राहुल ने कहा कि हम आपके हाथों में बस की चाभी देना चाहते हैं.


राहुल ने भाषण की शुरुआत में एक फैशन डिजाइनर की कहानी सुना कर बताने की कोशिश की कि डिजाइनर के लिए कपड़े बनाने वाले दर्जी का नाम नहीं होता. राहुल ने कहा कि कोका-कोला कम्पनी शुरु करने वाला कभी शिकंजी बेचता था, मैक-डोनाल्ड बर्गर वाला कभी ढाबा चलाता था. इसी तरह फोर्ड, होंडा जैसी कार कम्पनी के मालिक कभी मैकेनिक थे. राहुल ने सवाल उठाया कि भारत में ढाबा वाले बड़ी कम्पनी क्यों नहीं खोल पाते. बीजेपी के ओबीसी सांसदों के बारे में राहुल ने दावा किया कि कुछ ने उनसे कहा कि उनकी सुनी नहीं जाती. राहुल ने कहा कि देश को आगे जाना है तो 50-60% आबादी (यानी ओबीसी) को सम्मान देना होगा.


राहुल ने अपने भाषण में विरोधियों पर हमले तो खूब किए लेकिन ओबीसी समाज के लिए खुद अपना ब्लूप्रिंट नहीं रख पाए. आखिरी में बस यही कहा कि आरक्षण पर कांग्रेस उनके साथ खड़ी है. जबकि ओबीसी समाज से जुड़े कई ज्वलंत मुद्दों जैसे पिछड़ा आयोग या क्रीमी लेयर आदि पर राहुल ने कुछ नहीं बोला. इस बात से सम्मेलन में आए काफी लोग निराश भी थे. सवाल ये है कि जब 2019 में मुकाबला एक ओबीसी प्रधानमंत्री से है तो बिना ब्लू प्रिंट के कैसे राहुल गांधी ओबीसी को रिझा पाएंगे! क्या आरएसएस को कोसने से कांग्रेस को ओबीसी वोट मिलेंगे?