Bharat Jodo Nyay Yatra: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी रविवार (14 जनवरी) को 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' शुरू करेंगे. यह यात्रा मणिपुर के थौबल जिले से शुरू होकर मुंबई तक जाएगी. इस दौरान राहुल गांधी 6000 किलोमीटर से ज्यादा का सफर करेंगे. यह यात्रा दो महीने चलेगी.


राहुल गांधी 60 से 70 यात्रियों के साथ पैदल और बस से सफर करेंगे. यात्रा दोपहर 12 बजे मणिपुर स्थित खोंगजोम युद्ध स्मारक से शुरू होगी. हालांकि, पहले यह राजधानी इंफाल से शुरू होने वाली थी,.
 
कांग्रेस के मणिपुर अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र ने कहा, "हमने 2 जनवरी को राज्य सरकार को प्रस्ताव दिया था कि इंफाल में हप्ता कांगजीबुंग सार्वजनिक मैदान को भारत जोड़ो न्याय यात्रा को हरी झंडी दिखाने के लिए अनुमति दी जाए. हमने यह भी घोषणा की थी कि यात्रा इंफाल से शुरू होगी और मुंबई में समाप्त होगी.''


उन्होंने कहा कि हमने 10 जनवरी को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से मुलाकात की थी. इस दौरान यात्रा के लिए हप्ता कांगजीबुंग मैदान में सीमित संख्या में प्रतिभागियों के साथ जाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्होंने इजाजत देने से इनकार कर दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे मणिपुर में भारत जोड़ो न्याय यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे. 


सरकार ने कार्यक्रम पर लगाई पांबदियां 
मणिपुर सरकार ने 14 जनवरी को थौबल जिले से कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू किए जाने से जुड़े कार्यक्रम पर पाबंदियां लगाते हुए कहा कि यह कार्यक्रम एक घंटे से अधिक नहीं होना चाहिए और इसमें भाग लेने वालों की अधिकतम संख्या 3,000 हो. इसको लेकर थौबल के उपायुक्त ने 11 जनवरी को अनुमति आदेश जारी किया था. इस आदेश को पार्टी ने यात्रा से एक दिन पहले साझा किया.  


भारत जोड़ो न्याय यात्रा का रूट क्या है?
गौरतलब है कि यात्रा के मार्ग में कोई बदलाव नहीं हुआ. हालांकि, उसका शुरुआती बिंदु बदल दिया गया है. भारत जोड़ो न्याय यात्रा 67 दिन चलेगी. इस अवधि में कुल 6,713 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए यात्रा 20 मार्च को मुंबई में समाप्त होगी. इस दौरान यह 15 राज्यों के 110 जिलों को कवर करेगी.


भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर कांग्रेस ने क्या कहा?
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ''यह यात्रा पिछले 10 साल में हुए राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक अन्याय को ध्यान में रखते हुए निकाली जा रही है.'' उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री 'अमृतकाल' के सुनहरे सपने दिखाते हैं, लेकिन पिछले 10 साल की हकीकत 'अन्याय काल' है. इस अन्याय काल का कोई जिक्र नहीं होता.''


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