Politics On Government Bungalow: कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता क्या गई, चंद घंटों के अंदर ही उन्हें सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भी मिल गया. नोटिस का जवाब देते हुए राहुल गांधी ने तय समय सीमा के अंदर बंगला खाली करने का एलान कर दिया. राहुल पहले ऐसे नेता नहीं हैं, जिनकी सांसदी गई हो, उनसे पहले भी कई बड़े नेताओं की सांसदी जा चुकी है, लेकिन उनका सरकारी बंगला अभी तक नहीं लिया गया है.


देश में कम के कम 6 ऐसे नेता हैं, जिन्हें सांसद के तौर पर बंगला मिला था, अब वो सांसद नहीं रहे हैं. इसके बावजूद वे सरकारी बंगलों में रह रहे हैं. इनमें से कुछ नेता तो ऐसे हैं, जिनकी संसद सदस्यता गए चार साल का वक्त बीत गया है फिर भी उन्हें बंगला खाली करने का नोटिस नहीं भेजा गया है. आखिर ऐसा क्यों हैं. यहां इस बारे में ही गौर करेंगे. 


आडवाणी के पास भी सरकारी बंगला है


सांसद न होने के बाद भी सरकारी बंगले में रह रहे नेताओं की फेहरिस्त में पहला नाम भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का है. एक वक्त था जब आडवाणी के बिना बीजेपी की कल्पना नहीं की जाती थी. वह लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्य रह चुके है. अब पार्टी में उनकी भूमिका मार्गदर्शक की है. वह 2019 से किसी भी सदन के सदस्य नहीं है.


इसके बाद भी उन्होंने अपना सरकारी आवास खाली नहीं किया है. ये बंगला नंबर 30, पृथ्वीराज रोड, लोधी स्टेट,नई दिल्ली में है. सरकार की ओर से भी बंगला खाली करने का कोई नोटिस नहीं भेजा गया है. सरकार की दलील है कि आडवाणी की सुरक्षा का मसला बेहद संंवेदनशील है और उनकी जान को खतरा है, लिहाजा उनसे उनका सरकारी आवास वापस नहीं लिया जा सकता है.


2014 से सरकारी बंगले में रह रहे हैं ये भी


आडवाणी की तरह ही बीजेपी के दूसरे नंबर के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी भी इस लिस्ट में शामिल हैं. वो भी केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं और बीजेपी के अध्यक्ष रहे हैं. इलाहाबाद, वाराणसी और कानपुर से सांसद भी रहे हैं. उन्होंने अपना आखिरी चुनाव 2014 में लड़ा था. 2019 के बाद से वह भी किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं.


इसके बाद भी वो सरकारी बंगले 6 रायसीना रोड, संसद मार्ग एरिया, नई दिल्ली में रहते हैं. उन्हें भी बंगला खाली करने का नोटिस नहीं भेजा गया है, क्योंकि सरकार का तर्क है कि मुरली मनोहर जोशी की सुरक्षा को भी आतंकियों से खतरा है. 


बसपा सुप्रीमो ने भी नहीं खाली किया सरकारी घर


इस लिस्ट में तीसरा चर्चित नाम उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती का है. मायावती जब तक राज्यसभा की सांसद थीं तो उन्हें 3 त्यागराज रोड का बंगला मिला था. साल 2017 में कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था. फिर भी वो करीब पांच साल तक  सरकारी बंगले 3 त्यागराज रोड में रहती रहीं.


मोदी सरकार ने 2022 में मायावती के लिए 29 लोदी स्टेट का बंगला आवंटित कर दिया, जो अब भी मायावती के पास है. इसकी दो वजहें बताई जा रही हैं. एक तो ये कि मायावती राष्ट्रीय पार्टी बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तो इस लिहाज से उन्हें एक सरकारी बंगला मिलना चाहिए और दूसरा उन्हें भी सुरक्षा का खतरा है.


गुलाम नबी के पास भी है सरकारी बंगला


कुछ ऐसा ही हाल जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद का भी है. वो कांग्रेस भी छोड़ चुके हैं और राज्यसभा में भी उनका कार्यकाल पूरा हो चुका है. इसके बाद भी उन्हें सरकार की ओर से 5, साउथ एवेन्यू लेन, नई दिल्ली का बंगला मिला है. इसे न तो उन्होंने खुद खाली किया है और न ही सरकार की ओर से उन्हें बंगला खाली करने का नोटिस भेजा गया है. गृह मंत्रालय की ओर से इसके पीछे भी सुरक्षा का ही हवाला दिया गया है. 


सरकारी बंगले में रह रहे आनंद शर्मा


इस लिस्ट में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा का नाम काफी चौंकाता है. वो कांग्रेस में जी23 गुट के नेता रहे हैं. केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे. अप्रैल 2022 में ही इनका राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो चुका है. करीब एक साल बाद भी आनंद शर्मा से उनका सरकारी बंगला 28 लोधी स्टेट को खाली नहीं करवाया गया है. इसके अलावा बीजेपी से राज्यसभा के पूर्व सांसद और पहली मोदी सरकार में केंद्र में मंत्री रहे वाईएस चौधरी का भी राज्यसभा का कार्यकाल 2 अप्रैल 2022 को खत्म हो चुका है, फिर भी उनके पास सरकारी बंगला है. 


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