Defamation Case: मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पुनर्विचार याचिका को गुजरात हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस हेमंत प्रच्छक ने फैसला सुनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता एक अस्तित्वहीन आधार पर राहत पाने की मांग कर रहे हैं. लाइव लॉ के अनुसार, जस्टिस हेमंत प्रच्छक ने कहा, ''निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाने का कोई नियम नहीं है. ये अपवाद की श्रेणी में आता है. इसका सहारा दुर्लभ मामलों में लिया जाना चाहिए. राहुल गांधी के खिलाफ 10 मामले पेंडिंग हैं.''


लाइव लॉ के मुताबिक, गुजरात हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि राजनीति में शुचिता की जरूरत है. जस्टिस हेमंत ने कहा, ''राहुल गांधी के खिलाफ पुणे कोर्ट में एक शिकायत वीर सावरकर के पोते की ओर से भी दर्ज कराई गई है. जिसमें राहुल गांधी पर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में वीर सावरकर का अपमान करने का आरोप लगा है. सजा पर रोक न लगाना याचिकाकर्ता के साथ अन्याय नहीं होगा. सजा पर रोक लगाने के लिए कोई उचित आधार नहीं दिया गया है. निचली अदालत का दोषसिद्धि का फैसला उचित, न्यायसंगत और कानूनी रूप से दिया गया है.''


फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे राहुल गांधी!
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात हाईकोर्ट के जज ने वीर सावरकर पर टिप्पणी मामले का जिक्र करते हुए कहा कि राजनीति में शुचिता होना अब समय की मांग है. एक जन प्रतिनिधि को साफ चरित्र का व्यक्ति होना चाहिए.  जस्टिस ने कहा कि वीर सावरकर के पोते ने भी राहुल गांधी के खिलाफ एक केस दर्ज करवा रखा है. गुजरात हाईकोर्ट की ओर से निचली अदालत से मिली सजा को बरकरार रखे जाने के बाद राहुल गांधी इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं.


कांग्रेस के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पार्टी ने इस मामले में जल्द ही सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को हास्यास्पद करार दिया. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, ''नीरव मोदी, अमी मोदी, नीशल मोदी, मेहुल चौकसी जैसे बैंक से धोखाधड़ी करने वालों को सजा देने की बजाए, उनका खुलासा करने वाले मैसेंजर को सजा दी जा रही है. उन्होंने लिखा कि राहुल गांधी ने सत्य, धार्मिकता, निडरता और सत्ता के गढ़ों में बैठे लोगों से जवाबदेही मांगने का रास्ता चुना है. रास्ते में कुछ भी आए, हम सच के रास्ते पर बने रहेंगे. सत्यमेव जयते.''


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