Rahul Gandhi Defamation Case: मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है. मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त को होगी. मोदी उपनाम वाले लोगों की मानहानि मामले में राहुल को 2 साल की सज़ा मिली है. इसके चलते उनकी संसद सदस्यता रद्द हो गई है. यह सदस्यता तभी बहाल हो सकती है, जब उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगे.
आज क्या हुआ?
गुजरात हाई कोर्ट से राहत न मिलने के चलते सुप्रीम कोर्ट पहुंचे राहुल की याचिका आज जस्टिस बी आर गवई और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच में सुनवाई के लिए लगी. सुनवाई की शुरुआत में जस्टिस गवई ने कहा कि उनके पिता के कांग्रेस पार्टी से करीबी संबंध थे. उनके भाई आज भी कांग्रेस के सदस्य हैं. ऐसे में दोनों पक्षों के वकील बताएं कि उन्हें सुनवाई करनी चाहिए या नहीं. पूर्णेश मोदी के लिए पेश वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि उन्हें इस ओर कोई आपत्ति नहीं. राहुल गांधी के लिए पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने भी जेठमलानी से सहमति जताई. इसके बाद कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए सुनवाई की अगली तारीख तय कर दी.
क्या है मामला?
2019 में राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी और भगोड़े कारोबारी नीरव मोदी की तुलना करते हुए विवादित बयान दिया था. बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने इसके खिलाफ गुजरात के सूरत की कोर्ट में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया. उन्होंने कोर्ट को बताया कि उन्होंने मोदी नाम वाले सभी लोगों को चोर बताया है. इस साल 25 मार्च को सूरत के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (CJM) ने माना कि एक अनुभवी नेता और सांसद होने के नाते राहुल को एक पूरे वर्ग को अपमानित करने वाला बयान नहीं देना चाहिए था. CJM ने राहुल को IPC की धारा 500 के तहत 2 साल की सज़ा दी.
सेशंस कोर्ट से मिली ज़मानत
सीजेएम ने राहुल को अपील करने के लिए 30 दिन का समय देते हुए उनकी सज़ा स्थगित कर दी. इस वजह से राहुल को जेल नहीं जाना पड़ा. बाद में सूरत की सेशंस कोर्ट ने राहुल की अपील पर सुनवाई करते हुए उन्हें नियमित ज़मानत दे दी. उनकी अपील अभी भी सेशंस कोर्ट में लंबित है. इसके बाद भी राहुल के हाई कोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने की वजह है उनकी संसद सदस्यता.
संसद सदस्यता बचाना चाहते हैं राहुल
दरअसल, जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(1) के तहत किसी मामले में 2 साल या उससे अधिक की सज़ा पाने वाला व्यक्ति सांसद या विधायक पद के अयोग्य हो जाता है. इतना ही नहीं, सज़ायाफ्ता व्यक्ति सज़ा पूरी होने के 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता. इस चलते राहुल न सिर्फ संसद से बाहर हो गए हैं, बल्कि अगले कई सालों तक चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य हो गए हैं. यह स्थिति 2 ही तरीकों से बदल सकती है-
1. उनकी सज़ा या तो खत्म हो जाए या 2 साल से कम हो जाए
2. अपील के लंबित रहने तक उनकी दोषसिद्धि (conviction) पर रोक लग जाए
अब तक नहीं मिली है राहत
राहुल ने अपनी दोषसिद्धि पर रोक की मांग की थी. लेकिन उसे पहले सेशंस कोर्ट ने और बाद में हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया. दोनों ही अदालतों ने माना कि सामान्य लोगों के लिए लागू नियमों के तहत राहुल की सज़ा पर रोक लगा दी गई है, लेकिन वह विशेष रियायत मांग रहे हैं. वह दोष पर भी रोक चाहते हैं, जिसे लगाना जरूरी नहीं.
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