नई दिल्ली: राहुल गांधी ने कोविड 19 से पैदा हुई आर्थिक चुनौतियों पर नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी के साथ चर्चा की. जिसमें अभिजीत बनर्जी ने कुछ बड़ी बातें कहीं. उन्होंने कहा कि श्रमिकों को इतनी समस्या ना झेलनी पड़ती अगर देश मे आधार कार्ड पर आधारित योजना के जरिए PDS के तहत लोगों को राशन दिए जाने की योजना होती. कोई भले कहीं का भी रहने वाला होता, उसे वहां राशन मिल जाता जहां वो काम कर रहा होता. ऐसे में लाखों की संख्या में श्रमिकों को एक शहर से दूसरे शहर ना भागना पड़ता.
नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने राहुल गांधी से बातचीत में ये भी कहा है कि सरकार की ओर से एलान की गई मोरेटोरियम की योजना बेहतर तो है मगर सरकार को लोन की EMIs फिलहाल कुछ महिनों के लिए पूरी तरह रद्द करनी चाहिए थी. उस रकम की भरपाई सरकार को खुद करनी चाहिए. जिससे लोगों के हाथों में खर्च के लिए कुछ पैसे बचते, जिससे इकॉनमी को पटरी पर लाने में मदद मिलती.
अभिजीत बनर्जी ने ये पैरवी भी मजबूती से की कि MSMEs के रिवाइवल को ध्यान मे रखते हुए लोगों को कम से कम 10 हजार रुपये तक लॉकडाउन के बाद उनके खातों में डलवाने का वादा करना चाहिए था ताकि आज लोग अपनी बचत को कुछ खर्च करते. उन्होंने सीधे लोगों के हाथों तक कुछ रकम पहुंचाने की पैरवी की ताकि खरीद से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद मिल सके. इसके लिए केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें NGOs की मदद भी ले सकती हैं.
यही नहीं अभिजीत बनर्जी ने राहुल गांधी से बातचीत में ये पैरवी भी की कि सरकार को पुराना राशन कार्ड बंद करके तुरंत सभी को टेम्परेरी राशन कार्ड देने चाहिए. जिसकी वैलिडिटी तीन महीने की हो.
राहुल गांधी ने आज नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी से बातचीत के आखरी सवाल में ये भी कहा है कि भारत में ऐसे पेश किया जा रहा जैसे एक ही स्ट्रांग लीडर कोरोना वायरस को हरा सकता है. इसके जवाब मे अभिजीत बनर्जी ने अमेरिका और ब्राजील का उदाहरण देकर कहा कि ये मुमकिन नहीं बल्कि ऐसा करने से इन 2 देशों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ.
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