नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के विमान की 26 अप्रैल को हुबली में इमरजेंसी लैंडिंग हुई थी. शुरुआती जांच रिपोर्ट में इस घटना के पीछे जानबूझकर किसी भी गड़बड़ी या साजिश से इंकार किया गया है. राहुल गांधी के विमान की इमरजेंसी लैंडिंग की घटना के बाद उनकी सुरक्षा के मसले पर कैबिनेट सेक्रेटेरिएट में विस्तार से समीक्षा हुई.


इस महत्वपूर्ण बैठक में एसपीजी, डीजीसीए के अलावा सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के बड़े अफसरों ने पूरे घटना की समीक्षा की. सुरक्षा महकमे के सूत्रों ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि बैठक में शामिल सुरक्षा एजेंसियों ने एसपीजी के जरिये कांग्रेस पार्टी को सलाह दी है कि अपने अध्यक्ष के सफर के लिए एयरलाइंस का चुनाव करने में एहतियात बरतें.


कैबिनेट सचिवालय, जिसके अधीन एसपीजी काम करती है, ने कांग्रेस से पूछा है आखिर किस आधार वो अपने पार्टी अध्यक्ष के सफर के लिए चार्टेड विमान का चुनाव करती है.


इस घटना के बाद एसपीजी सुरक्षा पाने वीआईपी और दूसरे विशिष्ट श्रेणी के सुरक्षा पाने वाले वीआईपी के लिए नए सुरक्षा मानकों भी विचार किया गया जिसके तैयार होने बाद ये एडवाइजरी के तौर पर सुरक्षा पाने वाले दूसरे वीआईपी को भी भेजी जाएगी.


दरअसल एक साल में होने वाले आम चुनावों के दौरान वीआईपी चार्टर्ड विमानों का इस्तेमाल करेंगे. ऐसे में सुरक्षा महकमा नहीं चाहता कि ऐसे किसी भी चूक का इस्तेमाल राजनैतिक आरोपों के लिए हो.



डीजीसीए को निर्देश दिए गए है वीआईपी के इस्तेमाल में आने वाले चार्टर्ड एयरलाइन्स के ट्रैक रिकॉर्ड और विमान की पुख्ता जांच पड़ताल के बाद ही उड़ान की अनुमति दी जाए यानि एयर वर्दीनेस सर्टीफिकेट जारी किया जाए. साथ ही विमान के पायलट और को पायलट के विमान उड़ाने के अनुभव की भी पूरी पड़ताल की बाद ही इसकी इजाज़त दी जाए.


सुरक्षा समीक्षा बैठक में शामिल एसपीजी के बड़े अफसर के मुताबिक़ एसपीजी और डीजीसीए दोनों एजेंसियों को बेहतर तालमेल से काम करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि ऐसे हालात दोबारा ना बनें और किसी भी अप्रिय घटना बचा जा सके.


इमरजेंसी लैंडिंग से पहले हवा में विमान में घरघराहट और नीचे आने की घटना के बाद की गई शुरुआती जांच रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जिस 10 सीटों वाले डसॉल्ट फॉल्कन विमान में सफर कर रहे थे, उसके ऑटो पायलट के सही वक्त पर काम ना करने से दिक्कत आई थी और विमान 8000 फ़ीट की ऊंचाई से अचानक 500 मीटर यानि करीब 1640 फीट पर आ गया था.


बैठक में बताया गया कि डीजीसीए विमान के ऑटो पायलट के काम ना करने की तकनीकी जांच कर रहा है कि आखिर ऐसी खराबी क्यों आई. डीजीसीए के मुताबिक की जांच रिपोर्ट आने पर ही इस बात की जानकारी मिलेगी कि क्या ऑटो पायलट सिस्टम पहले से ख़राब था या फिर खराबी आखिरी वक़्त में आई थी.



हालाँकि राहुल की सुरक्षा में तैनात एसपीजी ने डीजीसीए से अब तक की जांच के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी है. एसपीजी की आंतरिक रिपोर्ट में घटना की पुष्टि होने के बाद एसपीजी ने डीजीसीए से पूछा है कि डसॉल्ट फॉल्कन विमान को एयर वर्दीनेस सर्टिफिकेट कब और किस आधार पर दिया गया था.


जांच के दौरान कैसे डीजीसीए के इंजीनियर इस बात का पता लगाने से चूक गए कि विमान का ऑटो पायलट सही से काम नहीं कर रहा था. डीजीसीए से एसपीजी ने पूछा है कि क्या विमान उड़ाने वाले दोनों पायलटों का अनुभव इतना था कि वो अतिसुरक्षित वीआईपी के चार्टर्ड विमान को उड़ाने के क़ाबिल थे.


जब डीजीसीए की तकनीकी जांच के रिपोर्ट आने के बाद सुरक्षा महकमों की दोबारा बैठक कैबिनेट सेक्रेटेरिएट में होगी तभी ये तस्वीर साफ होगी कि आखिर राहुल गांधी के विमान में हुआ क्या था. दरअसल इस घटना के बाद आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था और कांग्रेस ने बाक़ायदा साजिश का आरोप लगाते हुए इसके जांच की माँग की थी.


ग़ौरतलब है कि एसपीजी की सुरक्षा पाने वाले प्रधानमंत्री तो एयर फोर्स के विमान का इस्तेमाल सरकारी काम के लिए करते है जबकि पार्टी के काम के लिए पार्टी को किराए का भुगतान करना पड़ता है. वहीँ पूर्व प्रधानमंत्री और एसपीजी सुरक्षा पाने वाले गांधी परिवार की अपने यात्रा के इंतजाम खुद करने पड़ते हैं. लेकिन इसके लिए अब नए सुरक्षा मानक तैयार किये जा रहे हैं.