नई दिल्ली: कठुआ, उन्नाव और सूरत रेप केस के बाद महिला सुरक्षा को लेकर एक बार फिर बड़े स्तर पर सवाल उठने लगे हैं. विपक्षी दलों का कहना है कि 'मोदी राज' में महिला सुरक्षा के नाम पर केवल 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसे नारे गढ़े गए, जबकि जमीनी स्तर पर स्थिति और गंभीर होती चली गई. कांग्रेस पार्टी का कहना है कि सरकार रेप के आरोपियों को सलाखों के पीछे तक पहुंचाने के बजाय उसे संरक्षण दे रही है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज नाबालिग लड़की से जुड़े रेप का एक डाटा साझा करते हुए कहा कि अगर प्रधानमंत्री सच में बेटियों को न्याय दिलाने के प्रति गंभीर हैं तो फास्ट ट्रैक कोर्ट को केस सौंप दिये जाएं.
राहुल गांधी ने कहा, ''2016 में 19 हजार 675 नाबालिग से रेप की वारदातें हुई. यह शर्मनाक है.'' उन्होंने आगे ट्विटर पर लिखा, ''अगर प्रधानमंत्री सच में देश की बेटियों को न्याय दिलाने के लिए गंभीर हैं तो इन सभी मामलों को वह फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रांसफर करें और जो दोषी है उनको सजा दिलाएं.''
आपको बता दें कि कई दिनों की चुप्पी के बाद कठुआ और उन्नाव जैसे चर्चित रेप केस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि मैं देश को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि कोई दोषी बच नहीं पाएगा. इंसाफ होगा. पूर्ण न्याय होगा. बेटियों को इंसाफ मिलेगा. हमें साथ मिलकर इस बुराई को समाज से समाप्त करना होगा.
कांग्रेस बोली- बलात्कार जनता पार्टी
राहुल के साथ-साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कलमनाथ ने भी रेप केस को लेकर बीजेपी को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा, ''मैं कहीं पढ़ा था कि 20 ऐसे नेता हैं भारतीय जनता पार्टी के जो बलात्कार से जुड़े हुए हैं. अब इनका नाम भारतीय जनता पार्टी होना चाहिए या बलात्कार जनता पार्टी, ये जनता को सोचना है.''
आपको बता दें उन्नाव रेप केस में बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर आरोपी हैं. फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं. योगी सरकार पर आरोप है कि सेंगर को गिरफ्तारी से बचाने के लिए प्रयास किया गया. हालांकि आम जनों में उपजे आक्रोश के बाद केस को सीबीआई को सौंप दी गई थी.
वहीं कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ हुए रेप के आरोपियों को बचाने का आरोप बीजेपी के नेताओं पर लगा है. जिसके बाद बीजेपी के विधायक चंद्र प्रकाश गंगा और चौधरी लाल सिंह को जम्मू-कश्मीर कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा.