नई दिल्ली: 2004 में राजनीति शुरु करने वाले राहुल गांधी आज देश की सबसे पुरानी पार्टी के 60वें अध्यक्ष बन गए. कुर्सी तब मिली जब एक दिन बाद देश को दो राज्यों का चुनावी नतीजा आना है. एग्जिट पोल के मुताबिक कांग्रेस दोनों जगह हार के साथ अपना एक और राज्य हिमाचल प्रदेश खोती दिख रही है. एक तरफ जहां मोदी लहर में अब तक कांग्रेस एक के बाद एक चुनाव हार रही है ऐसे में सियासी गलियारे में चर्चा है कि क्या राहुल गांधी बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत करने के चुनावी अभियान से अपनी पार्टी को बचा पाएंगे ?


गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावी नतीजों से करीब 48 घंटे पहले दिल्ली में कांग्रेस दफ्तर के बाहर पार्टी में जोश और जीत का जुनून भर जाने का प्रदर्शन हो रहा था. क्योंकि देश की सबसे पुरानी पार्टी की कमान अब राहुल गांधी के हाथों में आ गई. जिन्होनें अध्यक्ष के तौर पर अपने पहले ही भाषण में बीजेपी पर आक्रामक रुख दिखाया. लेकिन जब मां सोनिया से पार्टी की कमान बेटे राहुल के हाथ में आई तब कांग्रेस अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी कार्यकर्ताओं के सामने बेटे की नई जिम्मेदारियों पर भावुक हो गईं थीं. लेकिन नई जिम्मेदारी अपने कंधे पर लेने वाले राहुल दिखा रहे थे, अब डिफेंसिव नहीं, अटैकिंग ही खेलना है. राहुल गांधी का पूरा भाषण यहां पढ़ें लेकिन पार्टी दफ्तर में खड़े होकर जोश भरने और जमीन पर पार्टी को खड़ा करने में बहुत फर्क है.


देश में अभी सिर्फ 6 राज्यों में कांग्रेस बची है. उनमें से भी एग्जिट पोल के मुताबिक हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के हाथ से खिसक सकता है. अगर ऐसा ही हुआ तो संभव है 18 जनवरी को राहुल गांधी के पास देश में सिर्फ पांच राज्य ही बचें. कांग्रेस शासित 5 राज्यों में से भी 3 पर कर्नाटक, मेघालय और मिजोरम में अगले ही साल चुनाव होना है. राहुल गांधी 2013 में उपाध्यक्ष बने थे तब से अब तक कांग्रेस पार्टी 24 चुनाव देश में हार चुकी है.


देश में चल रही मोदी की आंधी के सामने बेटे के कंधे पर कितनी बड़ी चुनौती आई है, मां सोनिया गांधी यही समझ, शायद वो दिन याद दिलाने लगीं, जब उन्होने पार्टी में जान फूंकी थीं. रायबरेली से मैं नहीं, मेरी मां लड़ेंगी 2019 का लोकसभा चुनाव: प्रियंका गांधी


राहुल के सामने खड़ी चार चुनौतियां
2018 में देश के 8 राज्यों के चुनावों में कांग्रेस को हार से राहुल को बचाना है


कांग्रेस पार्टी के संगठन को जमीन पर मजबूती से खड़ा करना


क्षेत्रीय दलों से गठबंधन करके मोदी सरकार को घेरना


मोदी लहर में लगातार जीत रही बीजेपी के विजय रथ को रोकने का फॉर्मूला खोजना