राहुल गांधी ने खटखटाया बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा, RSS पर बयान से जुड़ा है मामला
Rahul Gandhi Move HC: एडवोकेट धृतिमान जोशी ने 2017 में एक मजिस्ट्रेट के समक्ष राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि याचिका दायर की थी. इस याचिका को रद्द कराने के लिए कांग्रेस नेता हाई कोर्ट पहुंचे हैं.
Defamation Complaint Against Rahul Gandhi: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को कथित तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जोड़ने वाले अपने बयान के खिलाफ दायर मानहानि की शिकायत को रद्द करने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया है.
राहुल गांधी की याचिका में कहा गया है कि उनके खिलाफ मामले को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता सीताराम येचुरी के खिलाफ दायर मामले के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है. कांग्रेस नेता ने कहा कि दोनों ने अलग-अलग मौकों पर बयान दिए है और दोनों विपरीत विचारधारा वाले दलों से हैं. जस्टिस एसवी कोतवाल इस याचिका पर 5 दिसंबर को सुनवाई करेंगे.
बेंगलुरु की पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर 2017 को उनके घर के बाहर कथित तौर पर दक्षिणपंथी चरमपंथियों ने हत्या कर दी थी. इसके बाद राहुल गांधी ने लंकेश की हत्या को RSS से जोड़ दिया था.
2017 में दर्ज हुई थी शिकायत
एडवोकेट धृतिमान जोशी ने 2017 में एक मजिस्ट्रेट के समक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी और सीताराम येचुरी के खिलाफ शिकायत दायर की थी, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत कथित मानहानि के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी.
हालांकि, 2019 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सोनिया गांधी के खिलाफ मामला खारिज कर दिया था, जबकि राहुल गांधी और येचुरी को नोटिस जारी किया था.
मजिस्ट्रेट अदालत ने खारिज किया था आवेदन
इससे पहले दोनों ने एक आवेदन दायर कर इस आधार पर शिकायत खारिज करने की मांग की कि उन पर संयुक्त रूप से मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए, लेकिन मजिस्ट्रेट अदालत ने आवेदन खारिज कर दिया, जिसके बाद राहुल गांधी ने इस साल अगस्त में हाई कोर्ट का रुख किया.
'संयुक्त सुनवाई से मामले पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा'
कांग्रेस नेता ने अपनी याचिका में कहा कि वह और येचुरी अलग-अलग राजनीतिक दलों से हैं, जिनकी विचारधारा बहुत अलग हैं. ऐसे में संयुक्त सुनवाई से मामले पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. गौरतलब है कि राहुल गांधी देशभर में मानहानि के कई मुकदमों का सामना कर रहे हैं. उन्हें इस साल की शुरुआत में सूरत की एक अदालत ने दोषी ठहराया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी थी.
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