मुस्लिम बुद्धिजीवियों से बोले राहुल गांधी, साम्प्रदायिक उन्माद को रोकने की पहल करें
लगभग दो घन्टे चली बैठक के बाद पार्टी नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि इस बैठक का कोई एजेंडा नही था. अलग-अलग क्षेत्र में काम करने वाले लोगों से राहुल जी ने खुलकर बातचीत की. पब्लिक पॉलिसी पर बात हुई है इसमें राजनीतिक और आर्थिक मामलों पर भी चर्चा होती है.
नई दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर रणनीति बनाने में जुटे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार शाम अपने घर पर दर्जन भर मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात की. सूत्रों के मुताबिक इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी जब बुनियादी मुद्दों पर हारती है तो वो उन्माद की तरफ बढ़ती है. राहुल ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों से कहा कि समाज उन्माद के चपेट में ना आए, ध्रुवीकरण ना हो इसकी पहल आप सबको करनी चाहिए. क्योंकि ध्रुवीकरण से फायदा बीजेपी को ही होता है. कांग्रेस साझा संस्कृति में विश्वास रखती है. सूत्रों के मुताबिक राहुल ने ये भी माना कि कांग्रेस से भी कुछ मौकों पर गलतियां हुई है.
सूत्रों के मुताबिक कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवियों की तरफ से कहा गया कि कांग्रेस अपने मूल सिद्धांतों से दूर हो गई है. कांग्रेस को 60-70 के दशक के अपने सिद्धांतों पर लौटने की जरुरत है. सम्प्रदाय की नहीं कांग्रेस को गरीबी की बात करनी चाहिए. जब पार्टी सम्प्रदाय की बात करती है तो विरोधियों को सवाल उठाने का मौका मिल जाता है. हमेशा चर्चा कुछ फीसदी मुस्लिमों की बात होती है जो सनसनीखेज मुद्दे उठाते है. ज्यादातर मुसलमानों के वही मुद्दे हैं जो बाकी देश के मुद्दे हैं जैसे गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा आदि.
लगभग दो घन्टे चली बैठक के बाद पार्टी नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि इस बैठक का कोई एजेंडा नही था. अलग-अलग क्षेत्र में काम करने वाले लोगों से राहुल जी ने खुलकर बातचीत की. पब्लिक पॉलिसी पर बात हुई है इसमें राजनीतिक और आर्थिक मामलों पर भी चर्चा होती है. खुर्शीद ने ये भी कहा कि इस कड़ी में अभी और बैठकें होंगी. खुर्शीद ने ये भी कहा कि चुनाव को लेकर कोई बात नहीं हुई.
बैठक से निकले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष जेड. के. फैजान ने कहा कि देश के मौजूदा हालात पर चर्चा हुई जिनमें मॉब लिंचिंग यानी भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा, अल्पसंख्यकों में डर का माहौल जैसे मुद्दे शामिल थे. मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा भी उठा. ये भी बात हुई कि मुस्लिम समाज के लिए किए गए कार्यों को कांग्रेस ठीक तरीके से समाज के बीच नहीं ले जा पाई. वहीं शिक्षाविद इलियास मलिक ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी से ऐसी पहली मुलाकात थी और इसका कोई सियासी मकसद नहीं था. पहले भी सोनिया गांधी से इस तरह की मुलाकातें होती रही हैं.
सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ इस तरह की कुछ और बैठकें राहुल गांधी कर सकते हैं. हालांकि ऐसी बैठकों में उदार छवि के बुद्धिजीवियों को ही शामिल किया जा रहा है. विवादित या कट्टरपंथी छवि के लोगों को इन बैठकों से अनिवार्य तौर पर दूर रखा जा रहा है. दरअसल केवल मुस्लिम ही नहीं आने वाले दिनों में राहुल गांधी हर समाज के बुद्धिजीवी और प्रभावशाली लोगों से मिलेंगे. इसके लिए पार्टी ने अपनी इकाइयों को ऐसे लोगों की सूची तैयार करने को कहा है. पिछले दिनों में राहुल दलित बुद्धिजीवियों से भी ऐसी एक बैठक कर चुके हैं. इन बैठकों से आने वाली राय को पार्टी अपने घोषणापत्र में शामिल कर सकती है. हालांकि मुख्य लक्ष्य सभी समाज में खास कर परम्परागत वोट बैंक में फिर से पैठ बनाना है.
बुधवार की बैठक में वरिष्ठ इतिहासकार इरफान हबीब, रिटायर्ड IAS एम एफ फारूकी, सच्चर कमिटी के सदस्य रहे डॉक्टर अबू शरीफ, उद्योगपति जुनैद रहमान, योजना आयोग की सदस्य रही सईदा हमीद, अमीर मोहम्मद, सामाजिक कार्यकर्ता फरहा नकवी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष जेड के फैजान, शिक्षाविद इलियास मलिक जैसे करीब दर्जन भर बुद्धिजीवी पहुंचे. इनके साथ वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद और अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख नदीम जावेद भी बैठक में मौजूद रहे. इस बैठक को लेकर पार्टी की तरफ से जबरदस्त गोपनीयता बरती गई थी. पार्टी नेताओं ने आधिकारिक तौर पर इस बैठक के बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी. इस वजह से इस बैठक को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हुई और बीजेपी को कांग्रेस को घेरने का मौका मिल गया. लेकिन बैठक में राहुल की बातों से साफ है कि वो किसी भी कीमत पर बीजेपी को ध्रुवीकरण का मौका नहीं देना चाहते.