नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी ने अपनी तैयारी तेज कर दी है. इसी सिलसिले में आज शाम दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के वैसे नेताओं के साथ एक बैठक की जो अखबारों, वेबसाइटों में लेख लिखते हैं या टीवी पर अपनी राय के जरिए जनमत बनाने का काम करते हैं. सूत्रों के मुताबिक इस उच्चस्तरीय बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी नेता केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, कृषि संकट जैसे मुद्दों पर जम कर अपनी बात रखें. साथ ही राहुल ने ये आगाह भी किया कि कोई नेता ऐसा कुछ ना बोले जिससे विरोधियों को बयान तोड़ने-मरोड़ने का मौका मिल जाए. राहुल की चिंता इसलिए भी लाजमी है क्योंकि कई मौकों पर कांग्रेस के नेताओं के बयान पार्टी के गले की हड्डी बन जाती है. राहुल ने दो टूक कहा कि बहस को भटकाने की कोशिश की जाएगी लेकिन नेता मुद्दे पर अड़े रहें.


इस बैठक में रणदीप सुरजेवाला, पी चिदंबरम, आनंद शर्मा, राजीव शुक्ला, शशि थरूर, जयराम रमेश समेत देश भर से आए करीब 40 नेताओं को राहुल ने कहा कि सारे नेता बड़े मुद्दे पर एक साथ बोलें. बैठक पर चर्चा इस बात पर हुई कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस की बात को बेहतर तरीके से लोगों के पास कैसे लेकर जाया जाए. राहुल ने सुझाव दिया कि नेता आम आदमी की भाषा में मुद्दों को रखें.


सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने इन नेताओं से कहा कि वो अहम मुद्दों को आम लोगों तक पहुंचाएं. साथ ही ये भी सलाह दी कि बड़े मुद्दों जैसे भ्रष्टाचार आदि पर सारे नेता एक साथ बोलें. राहुल ने ये सलाह भी दी कि नेता जो भी बात कहें उसका संदेश स्पष्ट हो. बैठक में मौजूद एक सूत्र ने कहा कि राहुल गांधी के कहने का मकसद ये था कि इस बात का खास ध्यान रखा जाए कि बयान देने के बाद किसी बात का 'कुछ और' मतलब ना निकाला जाए. सूत्र के मुताबिक कुल मिला कर राहुल ने ये समझाया कि जटिल हो या सरल मुद्दों को आम आदमी की भाषा में ही सामने रखा जाए.


बैठक में नेताओं ने भी अपनी राय भी रखी. दिल्ली के बाहर से आए लोगों को खास तौर पर अपनी बात कहने का मौका मिला जिसे राहुल गांधी ने बड़े ध्यान से सुना. चर्चा के दौरान ये बात भी कही गई कि सरकार पर हमले केवल बड़े शहरों तक ही सीमित ना रहें बल्कि छोटे शहरों और गांवों तक भी पहुंचे.


सूत्रों के मुताबिक कुछ दिनों बाद राहुल गांधी फिर से इन नेताओं के साथ बैठेंगे. रणनीति बनाने के लिए इस तरह की और भी बैठकें होनी है. आने वाले दिनों में राहुल पार्टी प्रवक्ताओं के साथ भी बैठक कर सकते हैं. राहुल गांधी की कोशिश ये है कि कांग्रेस की बात हो या केंद्र सरकार की नाकामियां पार्टी के लिखने-पढ़ने वाले नेताओं के जरिए बात लोगों तक बेहतर ढंग से पहुंचे.