Rahul Gandhi on Constitution: स्वतंत्रता आंदोलन में 12 साल की उम्र में जेल गईं, जानें कौन हैं लीला ताई, जिनसे राहुल गांधी ने की मुलाकात
Rahul Gandhi In sanvidhaan sammaan sammelan: कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने बुधवार (6 नवंबर) को नागपुर संविधान सम्मान सम्मेलन में कहा कि किसी भी क़ीमत पर संविधान पर आंच नहीं आने देंगे.
राहुल गांधी ने अपने एक्स पर लिखा है "आज नागपुर में संविधान सम्मान सम्मेलन के दौरान लीला ताई से मिलकर बेहद सुखद अनुभूति हुई. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी उनसे मुलाक़ात हुई थी. वह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महज़ 12 साल की उम्र में जेल गई थीं. इतनी कम उम्र में जेल में डाले जाने और उत्पीड़न का शिकार होने के कारण वह लोकतंत्र एवं संविधान की रक्षा के महत्व को अच्छी तरह से समझती हैं.
आज नागपुर में संविधान सम्मान सम्मेलन के दौरान लीला ताई से मिलकर बेहद सुखद अनुभूति हुई। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी उनसे मुलाक़ात हुई थी।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 6, 2024
वह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महज़ 12 साल की उम्र में जेल गई थीं। इतनी कम उम्र में जेल में डाले जाने और उत्पीड़न का शिकार होने के कारण वह… pic.twitter.com/HKmypkY8OF
किसी भी कीमत पर संविधान पर नहीं आने देंगे आंच
उन्होंने आगे लिखा कि यही कारण है कि ताई ने अपना पूरा जीवन संविधान की रक्षा एवं लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए आवाज़ उठाते हुए बिताया है. उन्होंने मुझ पर और सभी कांग्रेस जनों पर संविधान की रक्षा करने का विश्वास जताया है. हम उन्हें विश्वास दिलाते हैं कि किसी भी क़ीमत पर संविधान पर आंच नहीं आने देंगे.
भारत जोड़ो यात्रा में 93 साल की लीलाबाई ने लिया था हिस्सा
बता दें कि राहुल गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा जब महाराष्ट्र में थी. तब उस यात्रा में 93 साल की लीलाबाई चितले शामिल हुईं थी.इस दौरान लीलाबाई ने कहा था "मैंने और मेरी दो सहेलियों ने कॉलेज के सामने नारे लगाए. इसीलिए हमें पुलिस ने हिरासत में लिया. शाम तक उसे पुलिस चौकी पर रखा गया, लेकिन हम 12 साल के थे, इसलिए हमें शाम को रिहा कर दिया गया. आज़ादी आसानी से नहीं मिली. उसके लिए गरीब और अमीर सभी लोगों ने सहयोग किया. सभी धर्मों के लोग महात्मा गांधी के साथ थे. जनशक्ति का निर्माण होने के कारण अंग्रेजों को पीछे हटना पड़ा. अंग्रेजों के पास सारे हथियार थे. सभी के एकत्र हो जाने पर अंग्रेजों को वापस जाना पड़ा".