अडानी ग्रुप के मामले में राहुल गांधी बोले- पारदर्शिता जरूरी, क्यों नहीं हो रही JPC जांच?
Rahul Gandhi PC: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार (31 अगस्त) को अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों को लेकर प्रतिक्रिया दी.
Rahul Gandhi On Center: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार (31 अगस्त) को अडानी ग्रुप के मामले को लेकर केंद्र सरकार पर हमला किया. उन्होंने कुछ विदेशी न्यूजपेपर की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि दो बड़े अंतराष्ट्रीय अखबारों ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं. इन पेपर का असर भारत की छवि और निवेश पर पड़ता है.
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का एक करीबी (गौतम अडानी) ने बिलियन डॉलर का इस्तेमाल शेयर के लिए किया. सवाल उठता है कि ये किसका पैसा है? अडानी का या और किसी का? इसकी जांच होनी चाहिए है.
पीएम मोदी का किया जिक्र
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने निशाना साधते हुए कहा कि पीएम मोदी चुप क्यों हैं? जी 20 के नेता आने वाले हैं जो सवाल पूछेंगे कि एक कंपनी स्पेशल क्यों है? बेहतर होगा उनके आने से पहले इन सवालों का जवाब दिया जाए. मामले में जेपीसी जांच की जरूरत है.
उन्होंने पूछा कि पीएम मोदी और अडानी का क्या रिश्ता है? जांच एजेंसियां अडानी ग्रुप की जांच और पूछताछ क्यों नहीं कर रही? हम पारदर्शिता की बात करते हैं. जी 20 से पहले भारत की प्रतिष्ठा दांव पर है. दरअसल नई दिल्ली में नौ और 10 सितंबर को जी-20 शिखर सम्मेलन होना है.
क्या दावा किया?
राहुल गांधी ने दावा किया कि इस मामले का मास्टरमाइंड गौतम अडानी का भाई है. इसमें दो विदेशी लोग भी शामिल है. सवाल है कि इन्हें भारत के आधारभूत ढांचे में अहम भूमिका निभाने वाली कंपनी के शेयर से छेड़छाड़ करने की इजाजत कैसे दी गई?
क्या आरोप है?
ऑर्गेनाइजड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट’ (ओसीसीआरपी) अडानी समूह पर आरोप लगाया कि उसके प्रवर्तक परिवार के साझेदारों से जुड़ी विदेशी इकाइयों के जरिए समूह के शेयरों में करोड़ों डॉलर का निवेश किया गया. अडानी ग्रुप ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है.
अडानी ग्रुप ने क्या कहा?
अडानी समूह (Adani Group) ने एक बयान में ओसीसीआरपी की रिपोर्ट को बेवकूफ हिंडनबर्ग रिपोर्ट को पुनर्जीवित करने के लिए विदेशी मीडिया के एक वर्ग के समर्थित सोरोस-वित्त पोषित हितों का एक प्रयास करार दिया.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बयान में कहा गया, ‘‘ ये दावे एक दशक पहले बंद हो चुके मामलों पर आधारित हैं जब राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने अधिक चालान, विदेश में धन हस्तांतरण, संबंधित पक्ष लेनदेन और एफपीआई के जरिए निवेश के आरोपों की जांच की थी. एक स्वतंत्र निर्णायक प्राधिकारी और एक अपीलीय न्यायाधिकरण दोनों ने पुष्टि की थी कि कोई अधिक मूल्यांकन नहीं था और लेनदेन लागू कानून के तहत थे. ’’
इनपुट-भाषा से भी.
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