नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज ओडिशा पहुंचे. जहां वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बीजेपी और मोदी सरकार पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि आज अगर विपक्ष एकजुट हो जाए तो बीजेपी को आसानी से हराया जा सकता है. राहुल गांधी ने इस मौके पर प्रियंका गांधी की राजनीतिक एंट्री पर भी बड़ा बयान दिया.
उन्होंने प्रियंका गांधी को प्रभारी बनाए जाने पर कहा, ''मीडिया में ऐसी खबर चली कि अंतिम के 10 दिनों में फैसला लिया गया. लेकिन कुछ साल पहले मेरी बहन से इस संबंध में बात हुई थी. तब उन्होंने कहा था कि मेरे बच्चे छोटे हैं और मैं उनके साथ वक्त बिताना चाहती हूं. अब दोनों बड़े हो चुके हैं एक यूनिवर्सिटी में है और दूसरा जाने वाला है और वह अब राजनीति में आई हैं.
राहुल गांधी से जब ये सवाल पूछा गया कि बहन-भाई में लड़ाई भी होती है..ऐसा होने पर कौन पीछे हटता है. तो उन्होंने कहा, ''आप मुझसे और प्रियंका गांधी से किसी भी मुद्दे पर राय पूछेंगे तो 80 प्रतिशत मौकों पर एक जैसा ही दोनों का जवाब होगा. इससे आप समझ सकते हैं कि दोनों के रिश्ते कैसे हैं. लोग सोचते हैं कि बड़े परिवार से हैं तो सबकुछ आसान होगा. लेकिन ऐसा नहीं है. मेरे पिता और दादी की हत्या कर दी गई. जीत और हार हुई. हर एक मसलों पर बात होती है. यही वजह है कि हमारी लगातार बातचीत होती है.''
जब राहुल गांधी से पूछा गया कि क्या प्रियंका ओडिशा और दूसरी जगहों पर प्रचार करेंगी. इसके जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि अभी ये तय नहीं हुआ है कि प्रियंका कब और कहां प्रचार करेंगी लेकिन उनका मुख्य काम यूपी में कांग्रेस में फिर से जान फूंकना है.
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राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर शुक्रवार को आरोप लगाया कि बीजेपी नीत राजग सरकार में हर जगह उसकी छाप दिखाई देती है और यह संगठन देश की सभी संस्थाओं में घुसना एवं उन्हें नियंत्रित करना चाहता है. उन्होंने कहा, ‘‘आरएसए बीजेपी की जननी है. उसे लगता है कि देश में वही एकमात्र संस्था है. वे सभी अन्य संस्थाओं में घुसना चाहते हैं और उन्हें नियंत्रित करना चाहते हैं.’’
राहुल ने कहा कि उसकी मानसिकता के कारण न्यायपालिका और शिक्षा क्षेत्रों समेत देश में हर जगह अराजकता फैल गई है. उन्होंने यहां बुद्धिजीवियों के साथ बातचीत के दौरान कहा, ‘‘ हमें लगता है कि कुछ लोगों के एक समूह या किसी एक विचारधारा को नहीं, बल्कि भारत के 1.2 अरब लोगों को देश चलाना चाहिए.’’
कांग्रेस नेता ने कहा कि अहम संस्थाओं की कार्यप्रणाली के मामले में उनकी पार्टी की सोच सत्तारूढ़ बीजेपी से अलग है. उन्होंने कहा, ‘‘अहम संस्थाओं को देश की किस प्रकार सहायता करनी चाहिए, इस बारे में हमारी सोच अलग है. पार्टी विकेंद्रीकरण, संस्थाओं की स्वतंत्रता और संवैधानिक सम्प्रभुता का सम्मान करती है.’’