क्या कांग्रेस के मौन से जागेगा राहुल गांधी पर 'इंडिया' का भरोसा? नेतृत्व पर ममता बनर्जी को मिला लालू-शरद-उद्धव का साथ
India Alliance Leadership: INDIA गठबंधन के नेतृत्व को लेकर जारी घमासान के बीच राहुल गांधी ने कांग्रेस सांसदों से कहा कि सहयोगी दलों के नेताओं के बयान पर टिप्पणी से परहेज करें.
India Alliance Leadership: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने 'INDIA' गठबंधन का नेतृत्व करने की इच्छा जताई है. इस घोषणा के बाद विपक्षी दलों के बीच चर्चा तेज हो गई है. उद्धव ठाकरे, शरद पवार से लेकर लालू प्रसाद यादव ने भी ममता को समर्थन दिया है. इस बीच लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार (10 दिसंबर, 2024) को अपनी पार्टी के सांसदों को इस मामले पर टीका-टिप्पणी से बचने का निर्देश दिया है.
राहुल गांधी ने कांग्रेस सांसदों से कहा कि वे ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों के नेताओं के बयानों पर टिप्पणी करने से परहेज करें, क्योंकि अगर कोई मुद्दा है तो उसे पार्टी नेतृत्व देखेगा. सूत्रों के अनुसार, पार्टी के लोकसभा सदस्यों के साथ बैठक में राहुल गांधी ने यह भी कहा कि सांसदों को जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाते रहने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के भीतर ही नेतृत्व को लेकर कुछ नेताओं ने बयान दिए हैं.
लालू यादव ने क्या कहा?
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा कि ममता बनर्जी को नेतृत्व मिलना चाहिए. कांग्रेस के विरोध का मतलब नहीं बनता है. शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने संकेत दिया कि उनकी पार्टी इस बात पर चर्चा करने के लिए तैयार है कि क्या कांग्रेस के बाहर किसी को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का नेतृत्व करना चाहिए. इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं ने भी अपनी नेता ममता बनर्जी को विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व देने की पैरवी की थी.
ममता ने इंडिया गठबंधन के नेतृत्व की जताई थी इच्छा
हाल ही में ममता बनर्जी ने विपक्षी गठबंधन इंडिया का नेतृत्व करने की इच्छा जाहिर की थी. उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था, "अगर उन्हें मौका मिले तो वह पश्चिम बंगाल के साथ-साथ गठबंधन की कमान संभालने को तैयार हैं." ममता के इस बयान के बाद 'INDIA' गठबंधन में नेतृत्व के सवाल को केंद्र में ला दिया है. शरद पवार और लालू यादव का समर्थन मिलने से ममता की स्थिति और मजबूत हो गई है, लेकिन कांग्रेस का मौन और वाम दलों की असहमति से नेतृत्व का मुद्दा अभी भी जटिल बना हुआ है.
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