मंगलवार यानी 8 अगस्त को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत हुई. खबरें आ रही थी कि विपक्ष की तरफ से बहस की कांग्रेस नेता राहुल गांधी शुरू करेंगे, सरकार और विपक्षी पार्टियां भी इसके लिए तैयार थीं. लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के पास भी राहुल गांधी का ही नाम पहले वक्ता के तौर पर भेजा गया. 


लेकिन सदन में मौजूद हर कोई हैरान तब रह गया जब राहुल गांधी ने चर्चा की शुरुआत करने से इनकार कर दिया. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो राहुल के पहले वक्ता के तौर पर नाम वापस लेने के बाद स्पीकर को सूचित किया गया कि इस मुद्दे पर चर्चा की शुरुआत असम से कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई करेंगे. 


अब राहुल ने आखिरी मिनट में ये फैसला क्यों लिया यह अब तक रहस्य ही बना हुआ है. उनके इस फैसले से हर कोई हैरान था.


पूरी थी तैयारी फिर भी नाम लिया वापस


सदन की शुरुआत से पहले जब राहुल गांधी भवन पहुंचे तब उनके हाथ में एक पीला लिफाफा था. चर्चा है कि उस लिफाफे में राहुल की स्पीच और कुछ तस्वीरें थी. चर्चा ये भी है कि राहुल गांधी सदन में पहुंचते ही केसी वेणुगोपाल से मिले. जिसके बाद वह स्पीकर ओम बिड़ला के पास गए और उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करने वाले पहले वक्ता के तौर पर भेजा गया अपना नाम वापस ले लिया और गोगोई ने बहस की शुरुआत की.


कांग्रेस ने क्या कहा?


कांग्रेस सांसदों ने राहुल के नाम वापस लेने को लेकर अलग अलग कारण दिए है. जिससे ऐसा लग रहा है कि उनकी पार्टी के सांसदों को भी राहुल के इस कदम का कोई अंदाजा नहीं था. 


एक कांग्रेस सांसद ने अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए कहा, “राहुल ने बहस नहीं शुरू की क्योंकि उन्हें लगा होगा कि शायद गोगोई को ही बहस शुरू करनी चाहिए क्योंकि एक तो वह पूर्वोत्तर से हैं दूसरा वह मणिपुर जाकर हालात देख चुके हैं और तीसरा गोगोई ने ही सदन को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था. ”


इंडियन एक्सप्रेस की इसी रिपोर्ट में एक अन्य सांसद ने कहा, 'राहुल गांधी ने अपना नाम वापस इसलिए लिया क्योंकि सदन में  प्रधानमंत्री मौजूद नहीं थे. एक और सांसद ने राहुल के इस कदम की वजह बताते हुए कहा कि वह "असहज" महसूस कर रहे थे इसलिए नहीं बोला. पार्टी के कुछ सांसदों का तो ये भी कहना है कि राहुल सरकार को सरप्राइज करना चाहते थे.


एक सांसद का तो ये भी कहना था कि, “पार्टी ने राहुल गांधी का नाम एक सोची समझी रणनीति के तहत दिया था. उन्होंने कहा अंदाज था कि जैसे ही सरकार को इस बात का पता चलेगा कि आज सदन में राहुल गांधी बोलने वाले हैं, ट्रेजरी बेंच अपनी पूरी तैयारी के साथ आएगा और उनको बहस को मुद्दे से भटकाना चाहेगा. लेकिन अचानक से गोगोई सामने आए तो ट्रेजरी बेंच हैरान रह गया सत्ता पक्ष के सांसद इसके लिए तैयार नहीं थे.”


राहुल के भाषण नहीं देने पर बीजेपी ने क्या कहा 


राहुल गांधी के भाषण नहीं देने के फैसले पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, 'कांग्रेस ने सुबह 11 बजकर 55 मिनट पर एक पत्र दिया था, जिसमें बताया गया कि राहुल गांधी अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत करेंगे, बहस दोपहर में शुरू हुई, मुझे समझ नहीं आ रहा कि पांच मिनट के अंदर ऐसा क्या हो गया कि उन्होंने भाषण न देने का फैसला ले लिया'.


जोशी के सवाल पर कांग्रेस सांसद रंजन गोगोई ने कहा कि “सत्ता पार्टी के मंत्रियों को स्पीकर के साथ हुई बातों को सार्वजनिक रूप से सामने नहीं लाना चाहिए. अगर हमारी बातें सामने लाई जा रही है तो फिर चेंबर में प्रधानमंत्री और स्पीकर के बीच क्या बात हुई है ये भी आपको बताना होगा.”


गोगोई के इस बयान पर गृहमंत्री अमित शाह ने पलटवार करते हुए कहा, 'ये गंभीर आरोप है, आप स्पीकर और पीएम के बारे में ऐसी बेबुनियाद आरोप नहीं लगा सकते. यह एक गंभीर मामला है.”


वहीं लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने भी गौरव गोगोई के इस बयान पर जवाब देते हुए कहा कि उनका चेंबर भी लोकसभा का हिस्सा है इसलिए ऐसे कोई बयान मत दीजिए जिसके पीछे सच्चाई ना हो.


कब बोलेंगे राहुल गांधी?


मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो राहुल गांधी आज यानी बुधवार को बोल सकते हैं. राहुल गांधी को आज राजस्थान का दौरा भी करना है, ऐसे में वह राजस्थान जाने से पहले संसद में अपनी स्पीच दे सकते हैं. कांग्रेस की तरफ से भी यह कोशिश की जा रही है कि सरकार को कन्फ्यूजन में रखा जाए और अचानक से राहुल गांधी का भाषण का रामबाण की तरह लगे.


बता दें कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए कुल 16 घंटे का समय अलॉट किया गया है, इन 16 घंटो में फिलहाल कुछ ही घंटों की चर्चा हुई है. आज या कल को दोनों पार्टियों की तरफ से बड़े नेता बोल सकते हैं, जिनमें अमित शाह, राहुल गांधी, निर्मला सीतारमण, ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नाम शामिल हैं और गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जवाब देना है.