'उन्हें इतिहास की जानकारी नहीं', नेहरू को लेकर अमित शाह के हमले पर राहुल गांधी का पलटवार
Rahul Gandhi Reply To Amit Shah: जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद आरक्षण और पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023 संसद से पास हो गया. इससे पहले दोनों सदनों में चर्चा की गई.
Parliament Winter Session: जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर निशाना साधा था. इसको लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पलटवार करते हुए कहा कि अमित शाह को इतिहास की जानकारी नहीं है, वो सिर्फ मुद्दों को भटकाने के लिए ऐसा कर रहे हैं. असली मुद्दा तो जातीय जनगणना और केंद्र में ओबीसी अधिकारी वाला मामला है.
राहुल गांधी ने कहा, "जवाहर लाल नेहरू ने अपनी जिंदगी इस देश के नाम कर दी. सालों तक जेल में रहे. अमित शाह को इतिहास नहीं पता है. वो इसे रि-राइट करने की कोशिश कर रहे हैं और मुद्दों को भटकाने के लिए इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं. असली मुद्दा तो जातीय जनगणना है. पीएम ओबीसी हैं लेकिन केंद्र सरकार के 90 सचिवों में से सिर्फ तीन ओबीसी क्यों हैं? हम ओबीसी की भागीदारी और जातीय जनगणना के मुद्दे पर बने रहेंगे."
अमित शाह ने संसद में क्या कहा?
दरअसल, संसद में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023 को लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पेश किए जाने के बाद इस पर चर्चा हुई. इस दौरान अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर की समस्या के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जिम्मेवार ठहराया.
उन्होंने कहा, "हमारी सेना जीत रही थी और दुश्मन देश की सेना पीछे हट रही थी. उस वक्त अगर नेहरू जी दो दिन और रुक जाते और सीजफायर नहीं करते तो पूरा कश्मीर आज हमारा होता. देश में 550 रियासतों का विलय हुआ कहीं भी धारा 370 नहीं लगी. जम्मू-कश्मीर जवाहर लाल नेहरू देख रहे थे तो वहीं क्यों लगी? तीन परिवारों ने अपने फायदे के लिए जम्मू-कश्मीर के एसटी समुदाय को उनके अधिकारों से वंचित रखा."
उन्होंने आगे कहा, “सभी जानते हैं कि कश्मीर के विलय में देरी इसलिए हुई क्योंकि शेख अब्दुल्ला को विशेष स्थान देने का आग्रह था. देरी की वजह से पाकिस्तान को आक्रमण करने का मौका मिला. जवाहर लाल नेहरू ने सिर्फ एक जम्मू-कश्मीर का काम देखा और वो भी आधा छोड़कर चले आए थे. कश्मीर का मामला यूएन में लेकर चले गए. लेकर ही नहीं जाना था. अगर लेकर भी चले गए तो अनुच्छेद 51 के तहत क्यों लेकर गए. देश की जनता अब समझ चुकी है कि कश्मीर के सवाल के मूल में जवाहर लाल नेहरू जी की गलतियां थीं.”
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