नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के सार्वजनिक इस्तीफे की चर्चा हर तरफ है लेकिन इस इस्तीफे की चिट्ठी आने के फौरन बाद कांग्रेस मुख्यालय में सन्नाटा फैल गया. ये अहम इसलिए है क्योंकि राहुल के इस्तीफे को टालने के लिए पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस दफ्तर में जबरदस्त शोरगुल मचा था.


कोई पदाधिकारी इस्तीफा दे रहा था तो कोई प्रदर्शन कर रहा था. राहुल को मनाने के लिए मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में एक दिन का उपवास भी रखा गया. यहां तक कि एक कार्यकर्ता ने कथित तौर पर आत्महत्या की कोशिश भी की. लेकिन जब राहुल ने सार्वजनिक रूप से इस्तीफे का एलान कर दिया इसके बाद से कांग्रेस दफ्तर पर खमोशी पसर गई.


इस्तीफे के बाद दोपहर से शाम हो गई लेकिन कांग्रेस दफ्तर में कर्मचारियों, इक्का दुक्का नेता और छिटपुट कार्यकर्ताओं के अलावा केवल मीडियाकर्मी नजर आ रहे थे. दफ्तर में एक अलग किस्म की खामोशी थी.


बहरहाल राहुल गांधी ने भले ही अपने ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया अकॉउंट के परिचय से 'कांग्रेस अध्यक्ष' हटा दिया लेकिन मुख्यालय में अध्यक्ष के कमरे के बाहर राहुल का नेमप्लेट बरकरार था. कुछ नेता मीडियाकर्मियों से पार्टी अध्यक्ष के तौर पर संभावित नामों को लेकर चर्चा कर रहे थे. ज्यादातर के चेहरों पर मायूसी थी. शायद इस बात का एहसास साफ झलक रहा था कि राहुल गांधी नहीं माने.


वहीं राहुल गांधी के घर पर भी कोई हलचल नहीं थी. कोई कार्यकर्ता नहीं..कोई नेता नहीं.. जबकि पिछले दिनों में राहुल के घर पर इस्तीफा वापस लेने की मांग को लेकर दो से ज्यादा बड़े प्रदर्शन हो चुके थे. लेकिन बुधवार शाम वहां भी सन्नाटा पसरा हुआ था.


इन सब के बीच ट्वीटर पर राहुल के इस्तीफे पर कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता भावुक होते नजर आए. ज्यादातर ने राहुल से पद पर बने रहने की अपील की तो कइयों ने उनके नेतृत्व को सराहा. वरिष्ठ नेता अजय माकन उन चुनिंदा लोगों में रहे जिन्होंने राहुल के फैसले का समर्थन किया.


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दिलचस्प बात ये रही कि शाम होते ही पार्टी के वयोवृद्ध महासचिव मोतीलाल वोरा के घर पर हलचल तेज हो गई. पहले मीडिया पहुंची और फिर कुछ नेता गुलदस्ते लेकर पहुंचने लगे. दरअसल राहुल के हटने के बाद अगली सीडब्ल्यूसी की बैठक तक वोरा ही पार्टी अध्यक्ष का काम काज देखेंगे.


अगली सीडब्ल्यूसी की बैठक में पार्टी के नए या फिर अस्थाई अध्यक्ष पर फैसला होगा. हालांकि वोरा ने अंतरिम अध्यक्ष बनाए जाने की जानकारी से इनकार करते हुए कहा कि राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बने रहना चाहिए.


अब नजरें अगली सीडब्ल्यूसी की बैठक पर टिक गई है जो बहुत जल्द बुलाई जा सकती है. आपको बता दें कि राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश तो 25 मई को सीडब्ल्यूसी की बैठक में ही कर दी थी लेकिन महीने भर बाद बुधवार 3 जुलाई को उन्होंने सार्वजनिक रूप से इसका ऐलान कर दिया.


चूंकि राहुल का इस्तीफा सीडब्ल्यूसी ने स्वीकार नहीं किया था इसलिए महीने भर से कांग्रेस में राहुल को मनाने के लिए गहमागहमी मची हुई थी. लेकिन राहुल अपने फैसले पर अडिग रहे और जाते-जाते पार्टी को सीख दे गए कि सत्ता के मोह से निकलने कर ही विरोधियों का मुकाबला किया जा सकता है. राहुल ने ये भी कहा है कि लोकसभा चुनाव में हुई हार की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए. अब देखना यही है कि राहुल के संदेश का कितना असर होता है? दिलचस्पी इस बात की भी है कि राहुल के बाद कौन?