Rahul Gandhi on Constitution: संघ परिवार के छुपे मंसूबे आ रहे बाहर, बीजेपी का अंतिम लक्ष्य संविधान को खत्म करना- राहुल गांधी
Rahul Gandhi on Constitution: राहुल गांधी ने कहा, 'नरेंद्र मोदी और भाजपा का अंतिम लक्ष्य बाबा साहेब के संविधान को खत्म करना है. उन्हें न्याय, बराबरी, नागरिक अधिकार और लोकतंत्र से नफरत है.'
Rahul Gandhi on Constitution: राहुल गांधी ने भारतीय संविधान को बदलने के मुद्दे पर भाजपा पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है. राहुल गांधी ने अपने एक्स हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा, 'भाजपा सांसद का बयान कि उन्हें 400 सीट संविधान बदलने के लिए चाहिए, नरेंद्र मोदी और उनके ‘संघ परिवार’ के छिपे हुए मंसूबों का सार्वजनिक ऐलान है.'
राहुल गांधी ने कहा, 'नरेंद्र मोदी और भाजपा का अंतिम लक्ष्य बाबा साहेब के संविधान को खत्म करना है. उन्हें न्याय, बराबरी, नागरिक अधिकार और लोकतंत्र से नफरत है. समाज को बांटना, मीडिया को गुलाम बनाना, अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा और स्वतंत्र संस्थाओं को पंगु बनाकर विपक्ष को मिटाने की साजिश से वो भारत के महान लोकतंत्र को संकीर्ण तानाशाही में बदलना चाहते हैं.'
राहुल ने अंतिम लड़ाई लड़ने की कही बात
आगे राहुल गांधी ने लिखा, 'हम आजादी के नायकों के सपनों के साथ ये षड्यंत्र सफल नहीं होने देंगे और अंतिम सांस तक संविधान से मिले लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहेंगे. संविधान का हर सिपाही, विशेष रूप से दलित, आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यक जागें, अपनी आवाज उठाएं, INDIA आपके साथ हैं.'
भाजपा सांसद का बयान कि उन्हें 400 सीट संविधान बदलने के लिए चाहिए, नरेंद्र मोदी और उनके ‘संघ परिवार’ के छिपे हुए मंसूबों का सार्वजनिक ऐलान है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 10, 2024
नरेंद्र मोदी और भाजपा का अंतिम लक्ष्य बाबा साहेब के संविधान को ख़त्म करना है। उन्हें न्याय, बराबरी, नागरिक अधिकार और लोकतंत्र से नफ़रत…
रविश कुमार भी उठा चुके हैं संविधान बदलने का मुद्दा
हाल ही में देश के माने जाने पत्रकार रविश कुमार ने भी संविधान बदलने का मुद्दा उठाया था, उस समय रविश कुमार ने बिबेक देबराय के लेख का हवाला दिया था. रविश ने कहा था कि संविधान बदलने की बात अभी तक आशंका की तरह देखी जाती थी और अफवाह मान कर खारिज कर दिया जाता था. लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबराय ने संविधान संसोधन पर लेख लिखा है. दरअसल, 15 अगस्त 2023 को बिबेक ओबराय का एक लेख छपा था, जिसमें उन्होंने साल 2047 के लिए एक नए संविधान की बात लिखी थी. देबराय ने लिखा था कि हमारा संविधान साल 1951 का बना है और इसमें कई सारे परिवर्तन किए जा चुके हैं.
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