नई दिल्ली: राफेल डील पर मोदी सरकार और विपक्षी दलों के बीच सियासी तकरार जारी है. आज एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस कर एक ई-मेल का जिक्र किया और कहा कि राफेल डील होने से ठीक पहले अनिल अंबानी फ्रांस के मंत्री से मिले थे. सवाल उठता है कि राफेल डील होने से पहले अनिल अंबानी फ्रांस के रक्षामंत्री से कैसे मिले? मोदी बिचौलिये और जासूस की तरह काम कर रहे थे.


उन्होंने कहा, ''अनिल अंबानी को पहले से पता था कि उन्हें राफेल सौदा मिलने वाला है. प्रधानमंत्री ने जो किया वह देशद्रोह और सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन है.'' कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा,  ''पहले ये भ्रष्टाचार का मामला था, अब ये ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट का मामला हो गया है. इस पर कार्रवाई शुरु हो जानी चाहिए.''


राहुल ने कहा, ''प्रधानमंत्री ने देश की सुरक्षा से समझौता किया है. उन्होंने रक्षा मामले की जानकारी एक ऐसे व्यक्ति को दी जिसके पास ये जानकारी नहीं होनी चाहिए.''


राहुल गांधी ने कथित ई-मेल दिखाकर कहा, ''एक ई-मेल है जिसमें लिखा है कि राफेल डील होने से पहले अनिल अंबानी फ्रांस के रक्षा मंत्री से मिले. इस बैठक में अनिल अंबानी ने कहा कि मोदी फ्रांस के दौरे पर आने वाले हैं और एक एमओयू साइन होने वाला है यानि राफेल डील होने वाला है. सवाल उठता है कि राफेल डील के बारे में रक्षा मंत्री को नहीं मालूम है, विदेश सचिव को नहीं मालूम है. लेकिन अनिल अंबानी को डील होने से 10 दिन पहले पता चल गया. यानि मोदी बिचौलिये का काम कर रहे थे. उन्हें बताना चाहिए कि अनिल अंबानी को कैसे राफेल डील के बार में पता चला.''


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उन्होंने आगे कहा कि ये रक्षा से जुड़ा मामला है. ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट का उल्लंघन किया गया है. इस मामले में क्रिमिनल कार्रवाई होनी चाहिए. प्रधानमंत्री को इस मामले में जवाब देना चाहिए.


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रक्षा के जुड़े मामलों पर सीएजी की रिपोर्ट को चौकीदार ऑडिटर जनरल रिपोर्ट करार दिया. उन्होंने राफेल डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि सरकार ने कोर्ट में सही जानकारी नहीं दी. कैग रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में नहीं रखा गया. यह मामला सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है.


राहुल गांधी ने कहा कि सभी विपक्षी नेताओं के खिलाफ जांच करवानी हो करवा लें. लेकिन राफेल डील की भी जांच हो. आप क्यों नहीं जांच करा रहे हैं. जेपीसी जांच करा दी जाए. एक ही बात है कि वह इस भ्रष्टाचार में शामिल हैं. इसलिए प्रधानमंत्री जेपीसी जांच नहीं करा रहे हैं.