भीमा कोरेगांव हिंसा गिरफ्तारी: मोदी सरकार पर भड़के राहुल गांधी, येचुरी, अरूंधती रॉय, रामचंद्र गुहा, जानें क्या कहा
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने भीमा गोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तारी की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि सुधा भारद्वाज हिंसा और गैर-कानूनी चीजों से उतनी ही दूर हैं जितना अमित शाह इन चीजों के करीब हैं.
नई दिल्ली: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार और वकीलों की गिरफ्तारी पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. कांग्रेस, सीपीआई(एम) और सामाजिक संगठनों ने सत्तारूढ़ बीजेपी पर आवाज दबाने का आरोप लगाया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि ‘न्यू इंडिया’ में एकमात्र एनजीओ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएससए) के लिए जगह है.
बाढ़ प्रभावित केरल के दौरे पर पहुंचे राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘भारत में अब सिर्फ एकमात्र एनजीओ के लिए जगह है और वह आरएसएस है. दूसरे सभी एनजीओ को बंद कर दो. सभी कार्यकर्ताओं को जेल भेज दो और शिकायत करने वालों को गोली मार दो. न्यू इंडिया में स्वागत है.’’
There is only place for one NGO in India and it's called the RSS. Shut down all other NGOs. Jail all activists and shoot those that complain.
Welcome to the new India. #BhimaKoregaon — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 28, 2018
सीताराम येचुरी सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी ने गिरफ्तारी को लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला करार दिया है. उन्होंने कहा, ''दलितों के खिलाफ हुए भीमा गोरेगांव की हिंसा की शुरुआत से ही पुलिस और केंद्रीय एजेंसी दलित अधिकार के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ताओं और वकीलों को टारगेट कर रही है. यह लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है.'' वहीं प्रकाश करात ने कहा कि यह लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला है. हम केस वापसी की मांग करते हैं.
Ever since the Bhima Koregoan violence against Dalits, the Maharashtra Police along with central agencies have been targeting dalit rights activists and lawyers who have been taking up their cases. This is a brazen attack on democratic rights & civil liberties. pic.twitter.com/rqW3XzQEcx
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) August 28, 2018
अरूंधती रॉय पुलिस की इस कार्रवाई पर प्रसिद्ध लेखिका अरूंधती रॉय ने कहा, ‘‘ये गिरफ्तारियां उस सरकार के बारे में खतरनाक संकेत देती है जिसे अपना जनादेश खोने का डर है, और दहशत में आ रही है. बेतुके आरोपों को लेकर वकील, कवि, लेखक, दलित अधिकार कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया जा रहा है ...हमे साफ - साफ बताइए कि भारत किधर जा रहा है.’’
भीमा कोरेगांव हिंसा: गिरफ्तार प्रोफेसर सुधा भारद्वाज की रिमांड पर पुलिस को झटका
रामचंद्र गुहा चर्चित इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने पुलिस की कार्रवाई को ‘‘काफी डराने वाला’’ करार दिया और उच्चतम न्यायालय के दखल की मांग की ताकि आजाद आवाजों पर ‘‘अत्याचार और उत्पीड़न’’ को रोका जा सके. गुहा ने ट्वीट किया, ‘‘सुधा भारद्वाज हिंसा और गैर-कानूनी चीजों से उतनी ही दूर हैं जितना अमित शाह इन चीजों के करीब हैं.''
शबनम हाशमी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने भी छापेमारियों की कड़ी निंदा की. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘‘महाराष्ट्र, झारखंड, तेलंगाना, दिल्ली, गोवा में सुबह से ही मानवाधिकार के रक्षकों के घरों पर हो रही छापेमारी की कड़ी निंदा करती हूं. मानवाधिकार के रक्षकों का उत्पीड़न बंद हो. मोदी के निरंकुश शासन की निंदा करती हूं.’’
एमनेस्टी इंटरनेशनल वहीं एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और ऑक्सफैम इंडिया ने कहा कि देशभर में सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई विचलित करने वाली है और यह मानवाधिकारों के मूल सिद्धांतों के लिए खतरा है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक आकार पटेल ने कहा, ‘‘आज की गिरफ्तारियां मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों और पत्रकारों पर ऐसी दूसरी कार्रवाई है जो सरकार के आलोचक रहे हैं. इन सभी लोगों का भारत के सबसे गरीब और उपेक्षित लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए काम करने का इतिहास रहा है. उनकी गिरफ्तारियों से ये विचलित करने वाले सवाल पैदा होते हैं कि क्या उन्हें उनके काम के लिए निशाना बनाया जा रहा है.’’
सिविल लिबर्टिज कमेटी के अध्यक्ष गद्दम लक्ष्मण ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि वह बुद्धिजीवियों को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही है.
आपको बता दें कि पुलिस ने महाराष्ट्र के भीमा गोरेगांव हिंसा के संबंध में पुलिस ने देश के अलग-अलग शहरों में छापे मारे और पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और कथित नक्सल समर्थकों को गिरफ्तार किया. इनमें वामपंथी विचारक वरवर राव, मशहूर वकील सुधा भारद्वाज भी शामिल हैं. मुंबई, पुणे, गोवा, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और हरियाणा में 10 जगहों पर छापे मारे गए. पुणे के संयुक्त पुलिस आयुक्त शिवाजीराव बोडखे ने कहा, "हमने वरवर राव, वेर्नोन गोंजाल्वेज, अरुण परेरा, सुधा भारद्वाज और गौतम नौलखा को गिरफ्तार किया है."
गौरतलब है कि भीमा-कोरेगांव, दलित इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. वहां करीब 200 साल पहले एक बड़ी लड़ाई हुई थी, जिसमें पेशवा शासकों को एक जनवरी 1818 को ब्रिटिश सेना ने हराया था. अंग्रेजों की सेना में काफी संख्या में दलित सैनिक भी शामिल थे. इस लड़ाई की वर्षगांठ मनाने के लिए हर साल पुणे में हजारों की संख्या में दलित समुदाय के लोग एकत्र होते हैं और कोरेगांव भीमा से एक युद्ध स्मारक तक मार्च करते हैं. पुलिस के मुताबिक इस लड़ाई की 200 वीं वर्षगांठ मनाए जाने से एक दिन पहले 31 दिसंबर को एल्गार परिषद कार्यक्रम में दिए गए भाषण ने हिंसा भड़काई.