पीएम के दिल में दलितों के लिए कोई जगह नहीं- राहुल
राहुल गांधी ने कहा, ‘’देश में जो माहौल है वो बीजेपी की विचारधारा के कारण है. हम इसके खिलाफ लड़ रहे हैं और जिंदगी भर लड़ेंगे. साल 2019 में बीजेपी को हरा कर दिखाएंगे. नरेंद्र मोदी जातिवादी हैं. उनके दिल में दलितों के लिए कोई जगह नहीं है"
राहुल ने आगे कहा, ‘’मोदी जी दलितों को और आदिवासियों को कुचलना चाहते हैं.’’ बता दें कि दलितों के मुद्दे पर राजनीति इसलिए गर्म है क्योंकि विरोधी मोदी सरकार में दलित समाज पर अत्याचार और भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं.
रेस्तरां में बैठकर छोले-भटूरे के मजे ले रहे हैं राहुल- बीजेपी
वहीं, बीजेपी नेता हरीश खुराना ने कांग्रेस नेताओं की फोटो ट्विटर पर शेयर कर तंज कसा है. उन्होंने लिखा है, 'वहां हमारे कांग्रेस के नेता लोगों को राजघाट पर अनशन के लिए बुलाया है और खुद एक रेस्तरां में बैठकर छोले-भटूरे के मजे ले रहे हैं. सही बेवकूफ बनाते हैं.'
राहुल गांधी उपवास करें झूठ ना फैलाएं: बीजेपी
राहुल गांधी के उपवास पर बीजेपी ने एक वीडियो बनाया है. जिसमें बीजेपी कह रही है कि राहुल उपवास करें लेकिन झूठ न फैलाएं. खुद बीजेपी को अपने घर से भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. उसके पांच दलित सांसद अपनी ही सरकार से नाराज़ हो गए हैं.
क्यों उपवास कर रहे हैं राहुल गांधी?
सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के फैसले के विरोध में देश भर के दलित संगठनों ने दो अप्रैल को 'भारत बंद' बुलाया था. इस बंद के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी 10 लोगों की मौत हो गई थी.
दलितों पर बीजेपी-कांग्रेस आमने सामने
कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कल कहा कि मोदी राज में दलित समाज पर अत्याचार बढ़ गए हैं. सिब्बल की बात जवाब देने आए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस से सवाल पूछा कि राहुल गांधी ये झूठ क्यों फैला रहे हैं कि मोदी सरकार ने दलित एक्ट ही खत्म कर दिया.
चुनावी राजनीति में दलति क्यों हैं अहम?
2014 में मोदी को पीएम बनाने में दलितों का बहुत बडा योगदान था. 2014 के लोकसभा चुनाव में 24 फीसदी दलितों ने बीजेपी को वोट किया था, जबकि पहले ये संख्या 12-14 फीसदी होती थी. 2014 में कांग्रेस को 19 और बीएसपी को देश भर में 14 फीसदी दलितों ने वोट किया. ऐसे में अगर दलितों का मुद्दा और गरम होता है तो बीजेपी की परेशानी बढ़ सकती है.
जरुर जानें- संविधान क्या कहता है?
संविधान किसी भी आधार पर भेदभाव की इजाजत नहीं देता है. संविधान के अनुच्छेद 17 में खास तौर से छूआछूत को खत्म किया गया है. 1989 में अनुसूचित जाति और जनजाति कानून भी बनाया गया ताकि जो भेदभाव कर रहे हैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सके. साल 2016 में कानून में संशोधन भी किया गया ताकि दलितों के खिलाफ अपराध को लेकर तेजी से कार्रवाई हो.