नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट की अवमानना मामले में जवाब दाखिल कर दिया है. राहुल ने माना है कि सुप्रीम कोर्ट ने पीएम को चोर नहीं कहा. ये उनकी पार्टी का राजनीतिक नारा है. चुनाव के गर्म माहौल में उन्होंने कोर्ट के आदेश की बात करते हुए गलती से इसे भी कह दिया. राहुल ने इसके लिए खेद जताया है और कहा है कि दोबारा ऐसा नहीं करेंगे.


27 पन्नों के जवाब में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि उनका इरादा कोर्ट के आदेश को गलत तरीके से पेश करने का नहीं था. 10 अप्रैल को जब सुप्रीम कोर्ट ने तय किया कि राफेल मामले पर पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई होगी, तब वो अमेठी के रास्ते में थे. उन्होंने आदेश को पढ़ा नहीं. कलेक्ट्रेट में चुनाव नामांकन दाखिल करने के बाद जब वो निकले तो मीडिया ने उनसे आदेश पर प्रतिक्रिया मांगी. राहुल के मुताबिक, "ये बयान मैंने चुनाव के गर्म माहौल में दिया. ये एक किस्म की जुमलेबाजी (rhetorical flourish) है. बाद में उसी दिन ये बात कटिहार की सभा में भी दोहराई. लेकिन मेरा इरादा कोर्ट के आदेश को गलत तरीके से रखने का नहीं था."


राहुल ने अपने जवाब में दिया एबीपी न्यूज़ के इंटरव्यू का हवाला


राहुल ने अपने बयान के पीछे की वजह भी बताई है. ABP न्यूज़ को दिए प्रधानमंत्री के इंटरव्यू के हवाला देते हुए राहुल ने कहा, "6 अप्रैल को प्रसारित इस इंटरव्यू में पीएम ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट उन्हें राफेल मामले में क्लीन चिट दे चुका है. ऐसा ही दावा बीजेपी के दूसरे नेता भी करते रहते हैं. जबकि हमारी पार्टी मानती है कि ये सर्वोच्च स्तर पर हुए भ्रष्टाचार का मामला है. इसलिए, पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करने के कोर्ट के आदेश के बाद मैंने ऐसा बयान दिया."


बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने दाखिल की थी अवमानना याचिका


पिछले हफ्ते कोर्ट ने बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी की तरफ से दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए राहुल गांधी से सफाई मांगी थी. कोर्ट ने कहा था, "राफेल केस में कुछ कागज़ात कोर्ट में रखे जाने का एटॉर्नी जनरल ने विरोध किया था, लेकिन हमने उनके एतराज़ को नहीं माना. ये कानूनी पहलू से जुड़ा आदेश था. हमारा नाम लेकर राहुल गांधी ने जो बातें मीडिया और जनता के सामने कहीं, वैसी कोई टिप्पणी हमारी नहीं है. इस पर राहुल सफाई दें."


मामले पर कल सुनवाई होनी है. आमतौर पर ऐसे मामलों में लोग बिना शर्त माफी मांगते हैं. लेकिन राहुल ने सिर्फ खेद जताया है. साथ ही, अपने बयान के पीछे की वजह बता कर उसे एक तरह से सही साबित करने की भी कोशिश की है. हालांकि, उन्होंने भविष्य में कोर्ट के आदेश को सही तरीके से रखने का भरोसा भी दिया है. ऐसे में ये देखना होगा कि क्या कोर्ट राहुल के इस जवाब से संतुष्ट होता है. अगर कोर्ट संतुष्ट होता है तो मामला बंद हो सकता है. अगर नहीं होता तो कार्रवाई आगे चलेगी, जिसमें राहुल को व्यक्तिगत रूप से हाज़िर होने के लिए भी कहा जा सकता है.


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