फेक न्यूज़: पीएम मोदी के फैसले पर राहुल गांधी का हमला, कहा- अपनी सरकार के आदेश पर यू टर्न ले लिया
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि पीएम मोदी ने अपनी सरकार के आदेश पर ही यूटर्न ले लिया. इस ट्वीट में राहुल गांधी ने #BasEkAurSaal का इस्तेमाल किया.
नई दिल्ली: फेक न्यूज़ पर सूचना प्रसारण मंत्रालय के फैसले को पलटने को लेकर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोला है. राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि पीएम मोदी ने अपनी सरकार के आदेश पर ही यूटर्न ले लिया. इस ट्वीट में राहुल गांधी ने #BasEkAurSaal का इस्तेमाल किया.
राहुल गांधी ने लिखा, ''फेक न्यूज़ के खिलाफ आदेश को लेकर गुस्से को भांपते हुए पीएम मोदी ने अपनी सरकार के आदेश पर यू टर्न ले लिया. ये साफ दिखा रहा है कि प्रधानमंत्री का नियंत्रण कम हो रहा है. सरकार में डर का माहौल है. #BasEkAurSaal''
फेक न्यूज़- पीएम मोदी ने स्मृति ईरानी के फैसले को पलटा, कहा- प्रेस काउंसिल करे सुनवाई
बीईए ने पीएम के फैसले का स्वागत किया मीडिया पर निगरानी रखने वाली संस्था बीईए ने प्रधानमंत्री के फैसले का स्वागत किया है. इसके साथ ही एनबीए ने भी प्रधानमंत्री के फैसले को सही बताया. बीईए ने कहा कि भविष्य फेक न्यूज़ को रोकने के लिए किसी भी फैसले में साथ देगा.
क्या है विवाद? पीएम मोदी ने फेक न्यूज पर स्मृति ईरानी के सूचना मंत्रालय का फैसले को पलट दिया. सूचना मंत्रालय ने फेक न्यूज देने पर कार्रवाई के लिए गाइडलाइंस जारी की थी. सोमवार को जारी गाइडलाइंस में फेक न्यूज देने वाले पत्रकारों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही गई थी. फेक न्यूज पर सूचना मंत्रालय के फैसले पर विपक्ष समेत कई पत्रकारों ने सवाल उठाए थे. कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि क्या पत्रकारों को खुलकर रिपोर्टिंग करने से रोकने के लिए गाइडलाइंस बनी.
सूचना प्रसारण मंत्रालय की गाइडलाइंस क्या थीं? फेक न्यूज पर लगाम लगाने के लिए सूचना मंत्रालय ने कड़े दिशानिर्देश जारी किए थे.फेक न्यूज की शिकायत मिलते ही पत्रकार की मान्यता जांच होने तक निलंबित करने का प्रावधान था. फेक न्यूज की जांच प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन से कराने का प्रावधान किया गया था. दिशानिर्देश के मुताबिक PCI और NBA को 15 दिन में जांच पूरी करनी थी. प्रिंट मीडिया से संबंधित फेक न्यूज की जांच प्रेस काउंसिल से कराने का प्रावधान था. न्यूज चैनल यानी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में चलने वाली फेक न्यूज की जांच NBA से कराने का प्रावधान था.
गाइड लाइन्स के मुताबिक, अगर कोई पत्रकार पहली बार 'फेक न्यूज़' देने में दोषी पाये गये तो पत्रकार की मान्यता छह महीने के लिये निलंबित की जायेगी और दूसरी बार ऐसा करते पाये जाने पर उसकी मान्यता एक साल के लिये निलंबित की जायेगी. इसके अनुसार, तीसरी बार उल्लंघन करते पाये जाने पर पत्रकार की मान्यता स्थायी रूप से रद्द कर दी जायेगी.
फेक न्यूज क्या है? फेक न्यूज यानी वो फर्जी खबरें जो तथ्यों पर आधारित नहीं होती हैं. किसी की छवि बनाने या किसी की छवि बिगाड़ने के लिए फर्जी खबरें फैलायी जाती हैं. MIT ने पिछले 11 सालों में ट्विटर पर चलने वाली फेक न्यूज पर शोध किया. MIT की रिसर्च के मुताबिक फर्जी खबरें सही खबरों से ज्यादा तेजी से लोगों तक पहुंचती हैं. MIT की रिसर्च के मुताबिक सही खबरों को ट्विटर पर सिर्फ 1000 लोगों ने शेयर किया. MIT की रिसर्च के मुताबिक फेक न्यूज ट्विटर पर 1 लाख लोगों तक पहुंची.