नई दिल्लीः गलवान में भारत और चीन के बीच संघर्ष के 20 दिनों बाद दोनों देशों की सेनाएं उस इलाके से पीछे हट गई हैं. सोमवार 6 जुलाई को भारत और चीन के सैनिक अपने-अपने इलाके में डेढ़ किलोमीटर तक पीछे हट गए. हालांकि विपक्ष इस पर सवाल खड़े कर रहा है और अब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी पूछा है कि गलवान में तनाव से पहले की स्थिति बरकरार रखने पर जोर क्यों नहीं दिया गया. राहुल ने साथ ही कहा कि राष्ट्रहित की रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है.
राहुल के सरकार से 3 सवाल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार 7 जुलाई को इस पर सवाल खड़े करते हुए सरकार से पूछा कि गलवान में भारतीय संप्रभुता का जिक्र विदेश मंत्रालय के बयान में क्यों नहीं था. राहुल ने भारतीय विदेश मंत्रालय और चीनी विदेश मंत्रालयों के बयान को ट्विटर पर पोस्ट करते हुए सरकार से 3 सवाल पूछे.
अपने ट्वीट में राहुल ने लिखा, “राष्ट्रहित सर्वोप्परि है. उसकी रक्षा करना भारत सरकार का कर्तव्य है. फिर, 1- तनाव से पहले कि यथा स्थिति बरकरार रखने पर जोर क्यों नहीं दिया गया? 2. हमारे क्षेत्र में चीन को 20 भारतीय सैनिकों की हत्या करने को सही ठहराने का मौका क्यों दिया गया? 3. गलवान घाटी में क्षेत्रीय संप्रभुता का कहीं कोई जिक्र क्यों नहीं किया गया? ”
अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री के बीच हुई बातचीत
गलवान में 15 जून को हुए खूनी संघर्ष के बाद मिलिट्री कमांडर स्तर से लेकर कूटनीतिक स्तर तक तनाव को कम करने के प्रयास हुए थे. 5 जुलाई को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री के बीच हुई चर्चा के बाद दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने पर सहमति बनी.
बताया जाता है कि करीब दो घण्टे चली बातचीत में डोवाल और वांग यी इस बात पर भी सहमत थे कि यथास्थिति में बदलाव के लिए कोई एकतरफा कार्रवाई नहीं करनी चाहिए. यानी 15 जून को दोनों देशों के सैनिकों के बीच जैसी हिंसक झड़प हुई उसकी पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए.
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