नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद अध्यक्ष पद को लेकर राहुल गांधी आखिरकार मान गए हैं. सूत्रों के मुताबिक जब कई बड़े नेताओं ने कहा कि संगठन में कौन किस पोस्ट पर रहेगा यह आप तय करेंगे तब जाकर वह माने. इससे पहले वह पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर अड़े हुए थे. पार्टी की हार के बाद  पिछले पांच दिनों से बैठकों का दौर लगातार जारी है.


सूत्र बता रहे हैं कि राहुल गांधी अध्यक्ष बने रहेंगे लेकिन इसके बदले उन्होंने पार्टी के सामने कुछ शर्ते रख दी हैं. सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी का कहना है कि वह पार्टी के अध्यक्ष जरूर हैं लेकिन संगठन और पार्टी से जुड़े बड़े फैसले लेने का अधिकार उनके पास नहीं है. सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी चाहते हैं कि पार्टी से जुड़े हर बड़े फैसले लेने का अधिकार उन्हें मिले.


जब पार्टी ने उन्हें फैसले से रोका


दरअसल, राजस्थान और मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद राहुल सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे लेकिन पार्टी के बड़े नेताओं ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया था.


बड़े नेताओं ने राहुल गांधी को समझाया था कि इन राज्यों में अगर वह लोकसभा चुनाव के दौरान ज्यादा से ज्यादा सीट जीतना चाहते हैं तो अशोक गहलोत और कमलनाथ पर दांव खेलना होगा.


हार के बाद राहुल पर उठने लगे सवाल


अब, जब लोकसभा चुनाव के बाद दोनों राज्यों में नतीजे उम्मीद के उल्ट आए तो एक बार फिर राहुल गांधी पर सवाल उठने लगे. बताया जा रहा है कि वह पिछले चार दिनों से अहमद पटेल, रणदीप सुरजेवाला और प्रियंका गांधी के अलावा किसी से नहीं मिले हैं.


बड़े नेताओं ने राहुल को दिया आश्वाशन


इन नेताओं ने राहुल गांधी के सामने सभी नेताओं की बात रखी. अध्यक्ष पद को लेकर राहुल गांधी को कहा गया कि पार्टी के सामने आपके अलावा कोई और विकल्प नहीं है. जिसके बाद अहमद पटेल और सुरजेवाला ने राहुल गांधी को भरोसा दिया कि जैसा आप चाहेंगे पार्टी वैसे ही चलेगी.


इस दौरान इन नेताओं ने राहुल गांधी से कहा कि आप जिसे मुख्यमंत्री बनाना चाहते है बनाइए. जिसे प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहते बनाइए. संगठन खड़ा कीजिए. काग्रेस का हर फैसला आपका फैसला होगा. जिसके बाद आज उन्होंने सचिन पायलट, अशोक गहलोत और पार्टी के कुछ अन्य नेताओं से मुलाक़ात की.


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