Rahul Gandhi: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी सोमवार (23 दिंसबर) को महाराष्ट्र के परभणी का दौरा करेंगे. यहां पर 10 दिसंबर को अंबेडकर स्मारक में तोड़फोड़ की घटना हुई थी, जिसके बाद यहां पर हिंसा भड़क उठी थी. स्मारक में तोड़फोड़ के विरोध में हुई हिंसा के बाद सोमनाथ और विजय की मौत हो गई थी. 


इस दौरान राहुल गांधी सोमनाथ सूर्यवंशी और विजय वाकोडे के परिवार से मिलेंगे. हालांकि दोनों की मौत अलग-अलग हालत में हुई थी. 


अंबेडकर स्मारक में तोड़-फोड़ से भड़क उठी थी हिंसा


दरअसल, सोपन दत्ताराव पवार नाम के व्यक्ति ने 10 दिंसबर को परभणी रेलवे स्टेशन के सामने अंबेडकर स्मारक में संविधान की रेप्लिका पर लगा कांच तोड़कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया था. इसके बाद लोगो ने पवार को पकड़कर उसके साथ मारपीट की थी. बाद में पुलिस ने युवक ने गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस के मुताबिक आरोपी मानसिक रोगी है. 


इस घटना के दूसरे दिन यानी 11 दिसंबर को परभणी बंद का आह्वान किया गया था. इस दौरान लोगों ने आरोपी को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग की थी. इस बंदी के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. इस दौरान भीड़ ने तोड़फोड़ और आगजनी की थी. भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े थे और लाठीचार्ज किया था. 


पुलिस ने 50 लोगों को किया था गिरफ्तार


हिंसा मामले में उसी रात पुलिस ने 50 लोगों को गिरफ्तार किया था. इनमें सोमनाथ सूर्यवंशी भी शामिल था. दो दिन पुलिस कस्टडी में रखने के बाद आरोपी को जेल भेज दिया गया था. इस दौरान पुलिस ने बताया कि सीने में दर्द की शिकायत पर सोमनाथ को अस्पताल भर्ती कराया गया था, जहां 15 दिसंबर को यहां उसकी हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. 


राज्य सरकार ने सोमनाथ के परिवार को 10 लाख रुपए मदद की घोषणा की थी. सोमनाथ की मौत को लेकर परभणी में विरोध प्रदर्शन हुआ था. दूसरे दिन इसमें शामिल आंदोलन के नेता विजय वाकोड़े की भी हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. 


सीएम देवेंद्र फडणवीस ने दिया जवाब


21 दिसंबर को महाराष्ट्र विधानसभा में सीएम देवेंद्र फडणवीस परभणी घटना पर जवाब दिया था. उन्होंने कहा था कि सोमनाथ को सांस लेने में तकलीफ और अन्य बीमारियां थीं. मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए जाने पर उसने किसी भी तरह की पुलिस यातना की शिकायत नहीं की थी. सीएम ने कहा कि सोमनाथ की मौत के मामले में ज्यूडिशियल जांच के आदेश दिए गए हैं. हिंसा की भी ज्यूडिशियल जांच कराई जाएगी. अंबेडकर किसी जाति तक सीमित नहीं हैं, वे सभी के हैं.